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Veeba Sauce : बिज़नेस में 5 साल की असफलता के बाद, घर बेचकर बना दी 1000 करोड़ ₹ की कंपनी

जब जिद्द हो तो आसमान भी झुक जाता है। ऐसी कहावते सिर्फ किताबो में ही सुनी गयी, लेकिन आज एक उद्दमी की कहानी जिसमे उसके द्वारा हजार कोशिशों के बाद भी हार नहीं मानी।असफलता ने लगातार 5 वर्षो तक उसको जकड़े रखा लेकिन फिर भी उन बंदिशों से निकलने के लिए बीवी से घर बेचने पर लाये गए पैसे से नया ब्रांड बनाया, फिर भी  2 वर्षो तक कोई आर्डर नहीं आया। हताश और निराश हो जाने पर अचानक से एक कंपनी आती है और करोड़ो का आर्डर देकर रातो रात जमीन से आसमान की ऊंचाई तक पंहुचा देती है।

Veeba Sauce

कहानी तो अपने खूब पढ़ी और सुनी होंगी लेकिन ये कहानी ऐसी प्रेरणा देती है, जिससे मुर्दा भी उठकर सलामी ठोक दे।

फूड प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनी वीबा (VEEBA) के संस्थापक विराज बहल अपने सॉस, चटनी और पिनट बटर के लिए जाने जाते है। इस ब्रान्ड को बनाने में विराज बहल को खूब संघर्ष करना पड़ा |

जब पिता ने फैमिली बिज़नेस में शामिल होने से मना किया

विराज बहल बचपन से ही आर्थिक रूप से संपन्न थे और अपने पिता के फ़ूड प्रोसेसिंग बिज़नेस से काफी प्रभवित थे।
उन्हें भी बड़े होने पर कुछ ऐसा व्यवसाय शुरू करना था।
जब स्थिति बदली और पढ़ाई पूरी करने के बाद बिज़नेस में शामिल होने की इच्छा जताई तो पिता ने शामिल होने के लिए मना किया।
पिता ने शर्त रखी कि पहलेतुम्हे इस काबिल बनना होगा और 3 लाख रुपये प्रति महीने कमाने होंगे, फिर तुम अपने फॅमिली बिज़नेस में शामिल हो सकते हो। 
90 के दशक में 3 लाख रुपये कमाना इतना आसान नहीं था।

पिता की चुनौती को पूरा करने मर्चेंट नेवी ज्वाइन किया :

पिता की चुनौती को स्वीकार कर अपने आप को काबिल बनाने के लिए सिंगापुर की एक मर्चेंट नेवी कंपनी में काम शुरू किया। अपनी पढ़ाई को जारी रखते हुए काम शरू किया।  2002 तक, वह कड़ी मेहनत, जुझारूपन और दृढ़ संकल्प से 3 लाख रुपये प्रति महीने की कमाई तक पहुंच गए। पिता की चुनौती का सामना करने में पूरी तरह सक्षम रहे और अपने परिवार के व्यवसाय से जुड़ने की योग्यता प्राप्त कर चुके थे। अब उन्होंने अपने परिवार का बिजनेस, “फन फूड्स” में शामिल हो गए और व्यवसाय को अगले स्तर तक ले जाने को तैयार थे।

विराज ने पूरी लगन से इस कंपनी में काम किया और छह सालों में “फन फूड्स” को एक सफल ब्रांड बनाया।

“फन फूड्स” बेचकर "पॉकेट फुल" की शरुआत करी :

2008 में विराज के पिता को “फन फूड्स” के लिए एक अच्छी सौदा मिला, जिसके बाद वे अपनी बनाई हुई कंपनी को बेचने को तैयार हो गए।
उन्हें लगता था कि उनका बेटा विराज अब इतना योग्य हो गया था कि वह दूसरा सफल उद्यम शुरू कर सकता है।

2008 में राजीव बहल ने ‘फन फूड्स’ को जर्मनी की कंपनी डॉ. ओटकर को बेच दिया। विराज इससे सहमत नहीं हुए और उन्होंने इसे रोकने की पूरी कोशिश की। लेकिन डील अच्छी होने की वजह से उन्होंने फन फूड्स को 110 करोड़ रुपये में बेच दिया।

विराज के लिए ये बहुत बड़ा झटका था लेकिन उन्होंने इस निर्णय को स्वीकार कर बेचे गए पैसे से 2009 में एक रेस्तरां व्यवसाय ‘पॉकेट फुल’ की शुरुआत की।

जब "पॉकेट फुल" सफल न हो सका :

यह रेस्तरां 4 साल की कड़ी मेहनत के बाद भी सफल नहीं हो पाया, इसलिए 2013 में “पॉकेट फुल” के सभी छह आउटलेट्स को बंद करना पड़ा। इस विफलता से वे बहुत टूटे और अपने बचे हुए पैसे भीगंवा दिए| उन्हें इस कठिन समय में उनकी पत्नी ने साथ दिया

Veeba की शरुआत करी :

“पॉकेट फुल” की असफलता से पूरी तरह से निराश थे। उन्होंने फिर से फूड्स प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में व्यवसाय का निर्णय लिया और अपने घर को बेचने का निर्णय लिया। जिसके लिए उन्होंने अपनी पत्नी से पूछा तो पत्नी ने 30 सेकंड का भी समय न लेते हुए उनके सहमति में शामिल हो गयी।
पत्नी ने कहा व्यवसाय में आपको अधिक मन लगता है इसके लिए हमेशा आपके पक्ष में रहूंगी।

वीबा (Veeba) कंपनी को राजस्थान के नीमराना में स्थापित किया। Veeba, जो एक Sauce बनाने की कंपनी है।
शरुआत में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा और निर्णय लिया कि अपने बिजनेस मॉडल को B2B में रखेंगे जिससे खुल कर प्रतिस्पर्धा नहीं रहेगी।

महीनो तक कोई आर्डर नहीं फिर अचानक :

संघर्ष का सफर ख़तम ही नहीं हो रहा था। कंपनी राजस्थान में स्थापित थी और बहुत प्रचार किया था, लेकिन महीनों तक कोई आर्डर नहीं मिला।

नेस्ले, एच. किसान और केचप जैसी विभिन्न कंपनियों ने अपनी पकड़ मजबूत बनायीं हुई थी। इस प्रतिस्पर्धा में शामिल होना आसान नहीं था इसीलिए विराज बहल ने B2C  की जगह B2B में शामिल होना उचित समझा।
Veeba के संस्थापक विराज बहल को कुछ राहत तब मिली, जब DSG Consumer Partners के दीपक शाहदादपुरी ने Veeba में निवेश किया |
Veeba ने धीरे-धीरे फास्ट फूड चेन, जैसे डोमिनोज़, KFC और Pizza Hut, जैसे बड़े ग्राहकों को आकर्षित किया। 
धीरे धीरे Veeba ने बाजार में अपनी पकड़ मजबूत की।

जब Veeba को 2 वर्ष बाद डोमिनोज़ ने 70 टन पिज़्ज़ा सॉस आर्डर किया :

सफलता केवल कड़ी मेहनत और निरंतर रणनीति से मिल सकती है। Veeba अभी तक सफलता की ओर बढ़ रही है क्योंकि सॉस बाजार में अधिकांश कंपनियां प्रतिस्पर्धा में शामिल थीं जहां उसका नाम बहुत छोटा था।
जब डोमिनोज़ ने अचानक एक दिन Veeba से 70 टन का पिज़्ज़ा सॉस आर्डर किया, तब से कंपनी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
2013 में स्थापित वीबा फ़ूड्स का नाम विराज बहल की माँ विभा बहल के नाम पर रखा गया था और उच्च गुणवत्ता वाले सॉस और मेयोनेज़ को बेहतरीन बनाने पर ध्यान दिया।

यह पिछले कुछ सालों में भारत के अग्रणी मसालों के ब्रांड में से एक बन गया है।

Veeba का विस्तार :

आज यह भारतीय सॉस मार्केट में एक प्रमुख ब्रांड बन गया है। कंपनी का 92% बिक्री रिटेल मार्केट से होती है, जो 1.5 लाख रिटेल आउटलेट्स और 700 से अधिक शहरों में फैला हुआ है। Veeba के उत्पादों में कम फैट और शुगर वाले स्वस्थ उत्पादों पर विशेष ध्यान दिया गया, जिससे यह उपभोक्ताओं के बीच लोकप्रिय हो गया।
Veeba के ग्रोथ के साथ ही अन्य निवेशकों ने भी इस कंपनी में रुचि दिखाई.

Veeba की वैल्यू 400 करोड़ रुपये तक पहुंच गई, जब सामा कैपिटल और वर्लिनवेस्ट ने 40 करोड़ रुपये निवेश किए।

2019 तक Veeba ने 290 करोड़ रुपये का राजस्व और 150 करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश हासिल किया था।

Veeba का विकास कोविड-19 के कठिन समय में भी जारी रहा, 700 शहरों, 28 डिपो और 1.5 लाख दुकानों तक पहुंच गया।
आज Veeba 14 श्रेणियों में 80 से अधिक उत्पादों को बेचता है। कम्पनी ने कई तरह के सॉस और कंडिमेंट्स बाजार में उतारे हैं, जिनमें से प्रत्येक का लक्ष्य ग्राहकों की बदलती पसंद को पूरा करना है। आज Veeba कंपनी – बर्गर किंग, डोमिनोज, नानडोज़ और PVR जैसी बड़ी कंपनियों को सॉस के बड़े आर्डर डील के साथ काम करती है।

B2C से पहले B2B की तरफ रणनीति :

एच. किसान और केचप जैसी कंपनियों ने प्रतिस्पर्धा में सीधे ग्राहकों पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली थी। जिसमे विराज बहल के लिया बाजार में उतरना विफलता की तरफ ले जाता।
स्टारबक्स, डोमिनोज़ और मैकडॉनल्ड्स जैसे ब्रांड उस समय भारत में तेजी से फैल रहे थे, क्योंकि क्विक सर्विस रेस्टोरेंट (QSR) क्षेत्र बढ़ रहा था।

रणनीति बनाते हुए विराज बहल ने Veeba को B2B की जगह B2C पर अधिक फोकस दिया।

B2B रणनीति के फायदे:

निरंतर धन प्रवाह :

B2B व्यापार से ग्राहक उच्च मात्रा में ऑर्डर देते हैं, लेकिन B2C व्यापार में बिक्री छिटपुट हो सकती है।

गुणवत्ता की गारंटी:

Veeba में उच्च प्रोफाइल वाले ग्राहकों के साथ काम करने से विश्वसनीयता बढे, जिससे लोगो में गुणवत्ता के पार्टी एक अलग ही जूनून हो। 

व्यापारिक जानकारी:

QSR के साथ काम करने से Veeba को उपभोक्ता वरीयताओं का अनुमान लगाने और उत्पाद विकास की जानकारी देने में मदद मिल सकती है |

Veeba Sauce का बाजार हिस्सा:

भारत के सॉस उद्योग में Veeba का नाम शुमार हो चुका है। बाजार में 50% से अधिक हिस्सेदारी और 1000 करोड़ रुपये का राजस्व।
विराज बहल ने बाजार के समीकरण को बारीकी से समझा, जिसमें शहर की आबादी पिछले 5 दशक में 21% से 36% हो गई औरउपभोक्ता तेजी से अनोखे सॉस की तलाश कर रहे थे।  वही बहल ने Veeba सॉस को बाजार में उतारा जिसको लोगो ने खूब पसंद किया।

वर्तमान में राजस्व विवरण :

  • सामान्य व्यापार – 70%
  • आधुनिक व्यापार – 20%
  • ई-कॉमर्स – 8%

Veeba के संस्थापक विराज बहल Shark Tank 4 में बतौर जज शामिल हुए है। जिसमे उन्होंने यह सारी जानकारी बताई थी।

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