fursatonline.com

Budget

पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी Budget पेपरलेस होगा। Union Budget, जिसे इस वर्ष Interim Budget कहा जाएगा | 1 फरवरी 2024 को पेश होगा, जैसा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया है।

चुनाव वर्ष में प्रस्तुत किया गया बजट अंतरिम बजट कहलाता है| 2023-24 के बज़ट का कुल साइज 45,03,097 करोड़ था जो 2022-23 की तुलना में 7.5% की वृध्दि से बढ़ा और इस बार भी ये आँकड़े बढ़ने की सम्भावना है |

राजकोषीय घाटे (Fiscal Deficit) को नियंत्रण में रखते हुए आर्थिक विकास को गति देने के लिए सरकारी निवेश में बढ़ोतरी जारी रहने की उम्मीद है। साथ ही, कृषि क्षेत्र और गरीबों की खाद्य सुरक्षा की आवश्यकताओं को पूरा करने और समावेशी विकास सुनिश्चित करने के लिए बजट में परिव्यय बढ़ाया जा सकता है |

राजकोषीय घाटे को नियंत्रण में रखते हुए बड़ी परियोजनाओं को शुरू करने के लिए राजमार्गों, बंदरगाहों, रेलवे और बिजली क्षेत्रों के साथ-साथ सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों में भी अच्छा निवेश की संभावना है |

पिछले आँकड़ो को देखते हुए कुल राजकोषीय घाटा 17-18 ट्रिलियन है |

आम आदमी के लिए ये बदलाव है अहम :

Budget

लोगों की उम्मीद है, इस वर्ष Budget में कुछ ऐसे प्रस्ताव भी आएंगे, जो लोगों को फायदा पहुंचा सकते हैं | जैसे आयकर छूट सीमा और हाउस रेंट अलाउंस (HRA) बढ़ाने की संभावना।

वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए 50 हजार रुपये की वर्तमान मानक कटौती है| जो कि मुद्रास्फीति और बढ़ती रहने की लागत के कारण अपर्याप्त मानी जा रही है|वेतनभोगी वर्ग को राहत देने के लिए वित्त मंत्री मानक कटौती बढ़ा सकते हैं।

इससे उपभोक्ताओं को अधिक पैसा खर्च करने में भी मदद मिलेगी, जिससे वस्तुओं की मांग बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था बढ़ेगी।

इनकम टैक्स स्लैब में कुछ राहत मिलने की भी उम्मीद है|

राजकोषीय घाटा क्या होता है ?

ऋण को छोड़कर, जब राजकोषीय खर्च, राजकोषीय आय से ज्यादा हो जाता है। यह किसी विशेष वित्तीय वर्ष के दौरान सरकारी उधार की कुल राशि को दिखाता है।

Budget

 पिछले वर्ष का राजकोषीय घाटा, सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 5.9%  था |

राजकोषीय खर्च :

वेतन, पेंशन भुगतान, पूंजीगत संपत्ति के निर्माण के लिए अनुदान, बुनियादी ढांचा, स्वास्थ्य देखभाल और ब्याज भुगतान।

राजकोषीय आय :

प्रत्यक्ष कर  जिसमें आयकर, निगम कर, राष्ट्रीय बीमा योगदान, परिषद कर आदि और भी शामिल हैं |

राजकोषीय घाटा हमेशा आय और व्यय के बीच अंतर को दर्शाता है जिसमे आय कम होकर व्यय अधिक हुआ होता है | इससे यह भी समझ आता है कि सरकार बाज़ार से पैसा कर्ज़ में ले रही है |

पिछ्ले 4 वर्षों का Data भी ये ही दर्शाता है |

समझते है पूंजीगत व्यय (CAPAX) :

2023-24 के Budget में 2022-23 की तुलना में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं (सड़कों, राष्ट्रीय राजमार्गों,  टोल सड़कों, पुलों,  सड़क परिवहन सेवाओं, रेलवे सिस्टम, तटीय शिपिंग, हवाई अड्डे, भंडारण सुविधाओं  और रसद सेवाएँ आदि ) पर पूंजीगत व्यय(CAPAX)  को 7.28 लाख करोड़ रुपये से 37.4 % बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपये किया गया था |

 सूत्रों के अनुसार, सरकार इस व्यय को और बढ़ाना चाहती है | जिसका उद्देश्य निवेश और रोजगार सृजन के चक्र को तेज करना है।

ICRA का अनुमान है कि अगर GDP अनुपात के हिसाब से राजकोषीय घाटे में 10 Bps का बढ़ावा आता है तो यह पूँजीगत व्यय (CAPAX) में 324 बिलियन करोड़ और सम्मिलित होगा |

अनुमान यह भी है कि सरकार राजकोषीय घाटे को देखते हुए, उनका उद्देश्य इसको GDP के 5.3% पर लाना होगा | जो लगभग GDP का 17.7 लाख करोड़ रुपये होगा  |

अर्थशस्त्रियों का कहना यह भी है कि राजकोषीय अनुशासन महत्वपूर्ण है लेकिन उच्च राजकोषीय घाटा उच्च मुद्रास्फीति और अधिक सरकारी उधारी की ओर ले जाता है, जिससे बैंकिंग प्रणाली में निजी क्षेत्र की कंपनियों को निवेश के लिए ऋण देने के लिए कम पैसा बचता है। इससे आर्थिक विकास रुक जाता है और रोजगार सृजन धीमा हो जाता है।

पूंजीगत व्यय (CAPAX) में क्या प्रयास रहेगा :

सरकार को पूंजीगत व्यय करने से राजकोषीय घाटे में वृध्दि जरूर होती है,लेकिन इसके द्वारा भविष्य मे मुद्रा निर्माण की प्रक्रिया भी शुरु हो जाती है | सरकार अधिक से अधिक संपत्तियों पर निवेश करती है जिन्हें आने वाले समय मे विक्रय कर एक आय अर्जित करती है या निवेश किये हुई संपत्तियों से ज्यादा से ज्यादा कर वसूल करके भी एक आय अर्जित करती है |

  • 2024-25 Budget में मैनुफैक्चरिंग को बढ़ावा और मिल सकता है |
  • इन्फ्रास्ट्र्क्चर से संबंधित CAPAX द्वारा सहमति मिलने की सन्भावना रहेगी |
  • सरकार की योजना विनिवेश करने की हो सकती है, विनिवेश से देश के राजकोषीय घाटे को कम किया जा सकता है |
  • भविष्य को देखते हुए सरकार का नजरिया पूंजीगत व्यय को GDP का 3.3% करने का भरपूर प्रयास रहेगा जिसकी घोषणा इस बार के बजट में हो सकती है, अगर ऐसा होता है तो यह 18 वर्षों में सबसे अधिक हो सकता है |

PM गरीब कल्याण योजना, जिसके तहत 80 करोड़ से अधिक गरीब लोगों को मुफ्त खाद्यान्न मिलता है, के लिए लगभग 2.4 लाख करोड़ रुपये का आवंटन होने की उम्मीद है। 2024-25 में कृषि के लिए परिव्यय 1.25 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ने की संभावना है।

अर्थशस्त्रियों का अनुमान है कि Budget 2024-25 में  प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों (GST) में  व्यापक आधार पर वृद्धि के साथ कर राजस्व प्राप्तियां साल-दर-साल 15 प्रतिशत बढ़ेंगी, जो सरकार को बढ़े हुए परिव्यय को पूरा करने में सक्षम बनाएगी। 

2023-24 में पूंजीगत व्यय 10 लाख करोड़ था, जो 2022-23 की तुलना में 3.4% की वृध्दि से बढ़ा |

बाज़ार उधार :

Budget

असल में, बाजार उधार का अर्थ है कि सरकार या आरबीआई बाजार से पैसा लेने के बदले में कुछ समय के लिए एक प्रमाण पत्र जारी करती है, जिसे भविष्य मे प्रमाण पत्र को अधिकृत कर धन को पुनः वापस कर कर दिया जाता है |

बाज़ार उधार को ध्यान में रखकर Goldman Sachs कहते हैं, 2024-25 में RBI सरकारी बॉन्ड के लिए एक शुद्ध विक्रेता हो सकता है |

अगर आरबीआई नीतिगत दरों में ढील करता है, तो विदेशी निवेशकों और घरेलू निवेशको द्वारा इसकी मांग बढ़ सकती है, जिससे 2024 में 25Bp की दो रेपो दरों मे कटौती की उम्मीद भी हो सकती है |

शेयर मार्किट से फायदे :

शेयर मार्किट में हर साल कुछ बड़ी रैली देखने को मिलती है जैसे -निफ्टी,बैंकनिफ्टी एवं और भी सेक्टर्स में अच्छा सकारात्मक परिवर्तन होती है, वैसा ही कुछ इस बार भी होता है तो हमें जरूर देखने की जरूरत हो सकती है |

इस बजट में रेलवे, इंफ्रा, डिफेंस, रक्षा, पावर रिन्यूएबल, ऑटो, ऑटो मैन्युफैक्चरिंग एवं रियल एस्टेट में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव हो सकते हैं |

हमें इन पर नजर रखने की जरूरत होगी एवं कुछ योगदान भी कर सकते हैं | ऐसे Sectors में कुछ बड़ा परिवर्तन देखने को मिल सकता है |

वित्त विधेयक (Finance Bill) :

वित्तीय मामलों से जुड़े सभी विधेयक वित्त विधेयक कहलाते हैं। केंद्रीय बजट का एक भाग, वित्त विधेयक, उसी दिन लोकसभा में पेश किया जाता है जब बजट पेश किया जाता है। इसमें करों का अधिरोपण, उन्मूलन, परिवर्तन या नियंत्रण शामिल है।

फरवरी में  बजट  घोषणा के उपरांत इसे विधेयकों में शामिल कर 75 दिनों के अंदर पास किया जाता है | कुछ विधेयको में बदलाव की जरूरत होने पर इसे 75 दिनों के अंदर बदला भी जा सकता है|

इसे भी पढ़े :

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top