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ToggleUniform Civil Code : यूनिफॉर्म सिविल कोड हुआ लागू अब होंगे कानूनों में बदलाव
Uniform Civil Code का अर्थ है- भारत में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए समान कानून , चाहे वह किसी भी जाति या धर्म का हो।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के नेतृत्व में यूनिफॉर्म सिविल कोड के अनुसार ड्राफ्टिंग कमेटी बनाकर समान नागरिक संहिता 2024 को उत्तराखंड में 7 फरवरी को संपूर्ण रूप से लागू कर दिया गया है|
इसी के साथ उत्तराखंड पहला राज्य भी बन गया जिसने यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू किया |
विशेषज्ञों के अनुसार – सबके लिए एक कानून से देश में एकता को बढ़ावा मिलेगा। संविधान केअनुसार भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है साथ ही, Uniform Civil Code लागू होने से विभिन्न धर्मों के लोगो के साथ भी समान व्यवहार का अधिकार मिलेगा |
कानून के दृष्टिकोण से सब समान हैं। विभिन्न कारणों जैसे शादी, तलाक, एडॉप्शन, उत्तराधिकार, विरासत, लेकिन सबसे अधिक लैंगिक समानता, यूनिफार्म सिविल कोड की जरूरत को अधिक महत्व देगा |
यूनिफॉर्म सिविल कोड का मुख्य उद्देश्य धर्मों, रीति-रिवाजों और परंपराओं पर आधारित व्यक्तिगत कानूनों को धर्म, जाति और जेंडर को ध्यान में न रखकर सभी को एक समान कानून के अंदर व्यवहार किया जाए |
यूनिफॉर्म सिविल कोड के अंतर्गत भारत के सभी नागरिकों को विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे विषयों में एक जैसे नियमों का हक भी शामिल है |
पिछले कानून कुछ इस तरह :
देश में दो प्रकार के कानून हैं|
- अपराधिक संहिता (आईपीसी)
- निजी कानून (पर्सनल लॉ)
पर्सनल लॉ में हिंदू मैरिज ऐक्ट, मुस्लिम ऐक्ट सब पर अलग-अलग लागू होते हैं | पर्सनल लॉ में शादी, तलाक, उत्तराधिकार, गोद, संरक्षण जैसी बातों को भी नियंत्रित किया जाता है लेकिन UCC के आने से इनपर बदलाव संभव हो गया है |
देश के सभी राज्यों में अपराधिक कानून के तहत समान सजा है लेकिन पर्सनल लॉ में धर्म के आधार पर काफी भेदभाव है।
अगर उदाहरण के तौर पर बात करते है तो पर्सनल लॉ में
- मुस्लिम व्यक्ति को एक से अधिक विवाह करने का अधिकार है, जबकि हिंदू विवाह कानून कठोर रूप से एक से अधिक विवाह पर प्रतिबंध लगाता है |
- धर्मों में तलाक के अधिकार भी अलग हैं जैसें पर्सनल लॉ, पुरुषों के हक में अधिक है और महिलाओं के हित में न होना |
महिलाओं के हित को देखते हुए UCC को सम्पूर्ण भारत मे लागू करने का प्रयास है | जिससे पर्सनल लॉ में भी समानता होगी यानि धार्मिक आधार पर शादी, तलाक, उत्तराधिकार, गोद और सम्पत्ति के अधिकारों में असमानता को समाप्त कर दिया जायेगा |
Uniform Civil Code में इस तरह से समानतायें प्राप्त होंगी :
- बहुविवाह पर रोक
- पत्नी को तलाक लेने पर भी पति की तरह अधिकार प्राप्त होगा
- विवाह करने के लिए सभी धर्मों में लड़कियों के लिए न्यूनतम उम्र 18 साल और लड़कों के लिए 21 साल
- शादी के 6 माह में पंजीकरण कराना आवश्यक
- लड़के और लड़की को संपत्ति में बराबर का अधिकार प्राप्त होगा
- सभी धर्मों में लिव इन रिलेशनशिप का पंजीकरण आवश्यक, साथ ही सभी धर्मों में वसीयत के समान प्रावधान को बढ़ावा |
भारत की आज़ादी के बाद ऐसे कमजोर पड़ने लगा Uniform Civil Code:
आजादी के पश्चात, हिंदू कोड बिल पेश किया गया | जिसने बौद्ध, हिंदू, जैन और सिख जैसे भारतीय धर्मों के विभिन्न संप्रदायों के व्यक्तिगत कानूनों को संहिताबद्ध किया और उनमें सुधार किया | लेकिन इसने ईसाइयों, यहूदियों, मुसलमानों और पारसियों को छूट दी, जो हिंदुओं से अलग समुदायों से थे।
कुछ समय बाद सेक्यूलरों ने मुस्लिम तलाक और विवाह कानूनों को भी सम्पूर्ण रूप से लागू कर दिया जिससे समान नागरिकता कानून भी कमजोर पड़ने लगा |
Uniform Civil Code 10 देशों में भी लागू :
भारत के पड़ोसी देश नेपाल समेत विश्व के नौ देशों में एक समान नागरिक संहिता लागू है। यूसीसी ड्राफ्ट की रिपोर्ट के अनुसार –
- सऊदी अरब
- तुर्की
- इंडोनेशिया
- नेपाल
- फ्रांस
- अजरबैजान
- जर्मनी
- जापान
- कनाडा
में Uniform Civil code लागू है और अब उत्तराखंड भी भारत का पहला राज्य बन चुका है,जहां यूसीसी सम्पूर्ण रूप से लागू हो चुका है|
विधेयक मंगलवार को विधानसभा के पटल पर पेश होने के उपरांत राजभवन की मंजूरी के लिए बुधवार को भेजा गया और फिर राष्ट्रपति का अनुमोदन प्राप्त कर इसे उत्तराखण्ड में लागू कर दिया गया है |
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