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Starbucks Coffee : स्टारबक्स कॉफीहाउस की श्रृंखला ही नहीं एक बैंक भी है, जिसने बिना किसी निवेशक के इतनी बड़ी कंपनी बना दी

दुनिया में हर व्यक्ति के पास टैलेंट है, लेकिन हर कोई अपना टैलेंट दूसरों के सामने नहीं ला पाता है। Starbucks की कहानी भी ऐसी है।
जिसने कॉफ़ी के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई है, आज करोड़ो की कंपनी बन चुकी है, क्योंकि यह सोची-समझी रणनीति और जोखिम के साथ कदम उठाते है।
लोग कॉफ़ी और पेय पदार्थ खरीदते हैं और साथ में वाउचर, उपहार भी लेते है जिसका पैसा भी सीधे Starbucks कंपनी को सीधे तौर पर प्राप्त होता है। 

Starbucks coffee

वाउचर इतने खरीदे जाते हैं कि वे चलती फिरती बैंक बन गए हैं। लोगो का पैसा अपने पास रखते हैं और उसी पैसे से अपने व्यवसाय को बढ़ाते हैं, बिना किसी निवेशक की मदद से व्यवसाय बढ़ाने में वृद्धि करते है|

Starbucks की स्थापना और उसके उद्देश्य:

1971 में Starbucks की स्थापना हुई थीजेरी बाल्डविन, ज़ेल सीगल और गॉर्डन बोकर ने स्टारबक्स कॉफी, चाय और स्पाइस को सिएटल के मशहूर चहल-पहल वाले पाइक्स प्लेस मार्केट में शुरू करने में सहयोग किया। यह कंपनी वाशिंगटन में सर्वश्रेष्ठ कॉफी उत्पादक बन गई।
2020 की शुरुआत भी नहीं हुई थी दुनिया भर के 70 देशों में 30,000 से अधिक स्थानों पर उपस्थिति दर्ज की है। यह Starbucks कॉफीहाउस की श्रृंखला है जो सिएटल, वाशिंगटन में है।

ये बहुत सारी सेवाएं प्रदान करते हैं—

  • गर्म और ठंडे पेय
  • माइक्रो ग्राउंड इंस्टेंट कॉफी 
  • कैफ़े लैटेस
  • टीवाना चाय उत्पादों सहित पूर्ण- और ढीली-पत्ती वाली चाय
  • ला बौलांगे पेस्ट्रीज़

इस कंपनी ने अपने आप को इतना बढ़ाया है कि बहुत से पुरस्कार भी जीते हैं। स्टारबक्स को वॉल स्ट्रीट ने “तीसरे स्थान” के रूप में चित्रित किया था। 

Starbucks का विस्तार :

1981 में, अमेरिकी परिचालन के उपाध्यक्ष हॉवर्ड शुल्ट्ज़ भी स्वीडिश मेकर के लिए स्टारबक्स गए। उन्होंने प्रबंधन और उत्पादों की गुणवत्ता से प्रभावित होकर संस्थापक जेरी बाल्डविन (Starbucks के संस्थापक) के साथ काम करना शुरू कर दिया। अमेरिका, सिंगापुर और जापान में स्थित कंपनी ने 1992 में तेजी से वृद्धि की और 1997 तक दस गुना हो गई।
2020 की शुरुआत में ही 70 देशों में 30,000 लोगों तक पहुंच हुई। स्टारबक्स की वेबसाइट के अनुसार, 2023 तक दुनिया भर में 38,038 स्टोर थे।

Starbucks की भारत में शुरुआत :

2007 में, स्टारबक्स ने भारत में प्रवेश की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुई। टाटा कॉफी और स्टारबक्स कॉर्पोरेशन ने जनवरी 2011 में भारत में स्टारबक्स आउटलेट खोलीं।
19 अक्टूबर 2011 को मुंबई में Starbucks का पहला स्टोर खोला गया था। 2013 में, स्टारबक्स ने टाटा ग्लोबल बेवरेजेज के साथ 50 आउटलेट स्थापित करने की घोषणा करते हुए कर्नाटक में अपना पहला कुकिंग और बंडलिंग प्लांट खोला। अपना लक्ष्य कंपनी ने जुलाई 2014 में भारत में अपना 50 वां स्टोर खोलकर हासिल कर लिया। 

Starbucks की रणनीति :

Starbucks समुदाय आधारित अभियान चलाया जाता है, जिसे स्टारबक्स हॉलिडे कप के नाम से भी जाना जाता है। सर्दियों में, स्टारबक्स आउटलेट पर कुछ गर्म पेय पदार्थ लाल रंग की पृष्ठभूमि पर परोसे जाते हैं, जिन पर उत्सव के डिज़ाइन हैं, जो सामान्य सफ़ेद कप से अलग हैं। स्टारबक्स ने इस अभियान का उपयोग एचआईवी/एड्स अनुसंधान में योगदान देने के लिए भी प्रचार किया है।

माना जाता है कि कैफे कॉफी डे (CCD) बाजार में सबसे आगे है। भारत में संपन्न वर्ग को ग्लोरिया जीन, कॉफी बीन और टी लीफ (CBTL) पसंद है। Starbucks ने भारत में इस रणनीति को अपनाया है। इनके पेय पदार्थों की कीमत काफी अधिक है, लेकिन वे मध्यम और उच्च वर्ग के लोगों के लिए अलग-अलग कीमतों को दर्शाते हैं, जिससे वे लोगों को आकर्षित करते हैं।

स्टारबक्स SWOT विश्लेषण करके मार्केट में अपनी जगह बनाते हैं।
S – Strength
W – weakness
O – opportunity
T – Threat

Starbucks एक बैंक भी :

जब भी उपभोक्ता स्टारबक्स के गिफ्ट कार्ड पर पैसे खर्च करता है, तो उपभोक्ता बिना ब्याज के पैसे इन्हे दे रहा होता है। जिस पैसे को कंपनी अपने पास रखती है उसके बदले में न तो ब्याज, रिवार्ड्स और बीमा देती है। कंपनी के लिए आपके द्वारा खरीदे गए गिफ्ट कार्ड उनके लिए फ्री के पैसे होते है।
2022 में, स्टारबक्स के पास ₹ 13,500 करोड़ से भी ज्यादा धन था, जिसका कोई ब्याज नहीं देना था। छोटी बैंक भी इतना पैसा नहीं रखती है।
प्रयोगकर्ता एप्प में ₹ 2100 लोड करता है और ₹ 1900 खर्च करता है, बाकि भूल जाता है। 2022 में ₹ 13,500 करोड़ से अधिक धन इस तरह जुटाया गया था।

Starbucks सिर्फ कॉफ़ी नहीं बेचता, बल्कि एक वित्तीय इंजन भी चलाता है। जिसका किसी को कोई आईडिया है।

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