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SEBI ने IPO को लेकर की बड़ी घोषणा, अब Retailers को आवंटन प्रक्रिया में होगी अधिक मुश्किलें

SEBI, IPO

SEBI द्वारा रिटेलर्स के लिए आईपीओ (IPO) को लेकर बहुत बड़ी घोषणा की है, जो 21 फरवरी 2025 से लागू हो सकती है।
अगर SEBI नए नियमों को लागू करता है, तो रिटेलर्स को IPO मिलना अधिक कठिन हो जाएगा। Consultation Paper (CP) जारी किया जा चुका है।

पिछले 1 वर्ष से रिटेलर्स के लिए कैपिटल मार्केट में काफी बदलाव हुए हैं।हालाँकि, इस बार IPO को लेकर रिटेलर्स कोटा को कम किया जा रहा है, लेकिन ये सारे IPO के लिए लागू नहीं होगा।

बताते चले कि रिटेलर्स के 35% कोटा को कुल साइज से कम किया जा रहा है। इसकी भी कुछ स्थिति है, जिसका विस्तार से इस इस लेख में चर्चा की जाएगी। 

SEBI द्वारा जारी किये गए नए दिशानिर्देश (Guidelines) :

सेबी ने QIBs को बढ़ाया है, जिनका कोटा पहले 50% था, लेकिन अब 60% होगा। वही, रिटेलर्स का कोटा 35% से 25% होने जा रहा है। ऐसा करने से रिटेलर्स को IPO मिलने में काफी मुश्किल होगी।
जैसे पहले 35% कोटे में भी रिटेलर्स की बड़ी संख्या के आगे बहुत से छोटे निवेशकों को आवंटित नहीं हो पाता था , अब 25% तक कम करने से संघर्ष और अधिक बढ़ जायेगा। 

इसके लिए एक स्थिति जारी की है – IPO का साइज ₹5000 करोड़ से अधिक हुआ तो Retailers कोटा का 35% से घटाकर 25% कर दिया जायेगा। लेकिन अगर IPO का साइज ₹5000 करोड़ से कम हुआ तो रिटेलर्स कोटा में कोई घटोत्तरी नहीं होगी। HNI और NII दोनों के कोटे में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

QIBs, HNIs और NIIs क्या हैं और इनकी भूमिका नए IPO में :

QIBs :

फुल फॉर्म Qualified Institutional Buyers, जिनके पास कैपिटल मार्केट में निवेश करने के लिए बड़ा धन होता है| QIBs के पास कंपनी की सारी वित्तीय जानकारी रखते हुए इतना बड़ा धन निवेश करते है और SEBI रजिस्टर्ड होते है। 

ये नए आईपीओ में निवेशित धन को लंबे समय तक रखते हैं। इसलिए, नए आईपीओ में उनका कोटा 50% है; हालांकि, SEBI द्वारा जारी किए गए नए दिशानिर्देशों के अनुसार, 10% से बढ़ाकर 60% हो सकता है।

Non-Institutional Investors (NIIs) –

पूरी तरह से IPO मार्केट में एक अलग स्थान रखते हैं। ये Retailers और Institutional Buyers के बीच की खाई को पूरी तरह से भर देते हैं।
रिटेलर्स को उनके निवेशित धन से नए IPO में पैसा निवेश करने का आत्मविश्वास बढ़ता है। Subscription के साथ आत्मविश्वास बढ़ता है। नए IPO में इनका कोटा 15% रहता है। सेबी के नवीनतम दिशानिर्देशों के अनुसार कोई बदलाव नहीं हुआ है।

HNIs –

फुल फॉर्म High Net Worth Individual, जो आईपीओ मार्केट में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। जो ₹2 लाख की वैल्यू के नए आईपीओ के शेयर अप्लाई करते हैं यद्यपि, HNIs और NIIs दोनों को एक साथ माना जाता है और इनका कोटा NIIs के 15% में ही होता है।

SEBI द्वारा जारी नए दिशानिर्देशों का उद्देश्य :

21 अगस्त 2025 से सेबी द्वारा जारी की गई नयी गाइडलाइन लागू हो सकती है। इसमें रिटेलर्स के कोटा को 35% से घटाकर 25% तक करने का निर्देश है। IPO के सूचीबद्ध होते ही रिटेलर्स शेयर बेच देते हैं, जो बदलाव का मुख्य कारण है। आईपीओ सूचीबद्ध नई कंपनी में निवेशित धन बहुत कम समय तक रह सकता है।

QIBs नए शेयर्स को लंबे समय तक निवेश करते हैं। सेबी के नियमों के अनुसार, Qibs आईपीओ सूचीबद्ध होते ही तुरंत बेच नहीं सकते हैं; वे कुछ महीनों के लिए Lock in Peroid में रहते हैं। लेकिन लिस्टिंग होते ही रिटेलर्स शेयर बेच देते हैं।

Category

Standard Quota (पिछले निर्धारित कोटा)

Large IPOs (₹5000 करोड़ से अधिक)

QIB

50%

60%

Retail

35%

25%

HNI/NII

15%

15%

₹5000 करोड़ से अधिक IPO साइज में हुआ बदलाव :

सेबी ने रिटेलर्स के 35% कोटे को कम करके 25% और QIBs के 50% को बढ़ाकर 60% किया है। लेकिन ये सिर्फ ₹5000 करोड़ से अधिक की आईपीओ साइज में बदलाव किए गए हैं। यदि आईपीओ ₹5000 करोड़ से कम है तो कोई बदलाव नहीं हुआ है।

SEBI के इस बदलाव से रिटेलर्स पर क्या पड़ेगा प्रभाव :

सेबी द्वारा किए गए इस बदलाव से रिटेलर्स पर बहुत अधिक असर हो सकता है। 35% कोटे को घटाकर 25% करने से रिटेलर्स, जो आईपीओ के लिए अप्लाई करते है उनको पहले 35% कोटे से आवंटित होता था, लेकिन अब 25% कोटे से आवंटित होगा। जिससे आईपीओ आवंटन (Allot) की संभावना अब और कम हो सकती है।

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