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ToggleSaraam Chocolate : 16 वर्ष की उम्र में यूट्यूब से सीखा चॉकलेट बनाना, आज ₹ 1 करोड़ का टर्नओवर

आजकल, यूट्यूब को बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है। एक व्यवसाय शुरू करने का सबसे आसान साधन भी है। यूट्यूब से विश्व भर में बहुत से लोगों ने उद्यमशीलता को सीखकर बड़े-बड़े उद्यमों को शुरू किया है। इस सूची में भारत के दिग्विजय सिंह भी शामिल है।
जिन्होंने यूट्यूब के माध्यम से कम उम्र में चॉकलेट बनाने की कला सीखी। आज बड़े मार्जिन में बिक्री करके अच्छा लाभ प्राप्त करते हैं। यह करोड़ों में है और एक बड़ा वार्षिक टर्नओवर प्राप्त करते है, अधिक बिक्री करके अधिक मुनाफा प्राप्त करते है।
16 की उम्र में ही "Saraam" चॉकलेट बनाना सीखे :
COVID-19 लॉकडाउन के दौरान उदयपुर के दिग्विजय सिंह अपने घर में रहते थे। उस समय वे यूट्यूब पर कुछ सीखने की कोशिश कर रहे थे। अचानक से चॉकलेट खाने का मन हुआ और लॉकडाउन होने के कारण चॉकलेट नहीं प्राप्त हुई। दिग्विजय ने यूट्यूब से सीखने का प्रयास किया और जल्द ही उन्होंने 16 वर्ष की उम्र में ही चॉकलेट बनाना सीख लिया।
“Saraam” नामक अपना खुद का ब्रांड बनाया। नए उद्यम के रूप में उनकी रुचि बढ़ी।
इस छोटे से कदम से प्रेरित होकर, “Saraam” बिज़नेस को बड़े स्तर पर जाने की इच्छा जागी. तब से, वे दिन-रात काम करते हैं और “Saraam” चॉकलेट को ऑफलाइन बड़े सेंटर्स में प्रदान कर अच्छी बिक्री प्राप्त करने लगे।
"Saraam" ने ग्राहकों को कैसे संभाला :


नेस्ले और डैरीमिल्क जैसी बड़ी कंपनियां पहले से ही बाजार में अपनी जगह बना चुकी थीं, इसलिए दिग्विजय सिंह को ये बिज़नेस स्केल हासिल करना मुश्किल था। इनके बीच मुकाबला करना आसान नहीं था।
“Saraam” चॉकलेट ने वितरण चेन विकसित की। जिसके माध्यम से आर्डर लगातार बने रहे। पहले दोस्तों और परिवार के साथ साझा किया।
दिवाली के दौरान – दिग्वजय के पिता ने कार खरीदी और साथ में चॉकलेट का डब्बा भी प्राप्त किया। उस समय शोरूम अपने ग्राहकों को मिठाई के रूप में चॉकलेट बांटते थे।
“Saraam” का संस्थापक दिग्विजय सिंह इससे प्रभावित हुए। दिग्विजय ने होटलो के मालिक और शोरूम से संपर्क स्थापित किया और खुद के चॉकलेट भी उन लोगों को देने लगे। यही से ग्राहकों के साथ तालमेल अच्छा कर बिज़नेस को बड़े स्केल में ले गए।
"Saraam" को पहला आर्डर प्राप्त हुआ :


“Saraam” द्वारा हर जगह तालमेल अच्छा हो जाने के बाद पहले आर्डर का इंतज़ार था। उस आर्डर का इंतज़ार ख़तम ही था, 2021 में कार शोरूम से 1000 चॉकलेट का आर्डर आया।
दिग्वजय की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था। 2021 में ही कंपनी का नाम “Saraam” रख कर ब्रांड में स्थापित कर दिया।
तब से अब तक बहुत सी चॉकलेट बिकी है। दिग्विजय के भाई, जिन्होंने अपने भाई का पूरा समर्थन किया और उसके व्यवसाय को सफल बनाया, इन सभी कार्यों में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
"Saraam" में शामिल सामग्री और टेस्ट :


दिग्विजय चॉकलेट को बनाने के लिए केरल और तमिलनाडु से कोको खरीदते हैं, और उन क्षेत्रों से फल भी खरीदते हैं, जो दक्षिण भारत में उगाया जाता है | उदयपुर से बेर और केरल से कोकम खरीदते हैं।
दिग्विजय उच्च गुणवत्ता वाली चॉकलेट बनाते हैं। उन्हें जामुन, केसर और बेरी जैसे स्थानीय मसालों और फलों का मिश्रण, उनकी चॉकलेट का अलग स्वाद देता है, जो भारतीय पाक परंपराओं को दर्शाता है।
वेबसाइट और सोशल मीडिया उनकी स्वादिष्ट चॉकलेट “Saraam” को बेचते हैं।
"Saraam" के ग्राहक और 2 टन से अधिक की बिक्री:


2021 में पहला आर्डर मिलने के बाद, आर्डर में कोई कमी नहीं आई, बल्कि “Saraam” का नाम ब्रांड बनता गया।
इसके अधिकतर ग्राहक दिल्ली, बेंगलुरु, उदयपुर और जयपुर जैसे शहरो से शामिल थे।
लोग “Saraam” चॉकलेट को अधिक पसंद करने लगे क्योंकि इसका टेस्ट अच्छा था और यह सस्ता था।
अब यह एक प्रमुख चॉकलेट ब्रांड बन चुका है, जिसका रेवेन्यू ₹ 1 करोड़ तक पहुंच चुका है और भारत में 2 टन से अधिक उत्पाद बिक चुका है।