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kalpana saroj success story झुग्गी-झोपड़ी से लेकर अरबों रुपयों की मलिक तक का रुला देने वाला सफर:

मात्र 12 वर्ष की उम्र में शादी और शादी के बाद पति की अत्यंत प्रताणना सहना , फिर आत्महत्या के बारे से सोचना तथा फिर से मजबूती से खड़े होना कोई मामूली बात नहीं होती लेकिन आज हम आपको ऐसी सच्ची कहानी बातएंगे जो आपको सोचने पर मजबूर करदेगी !

kalpana saroj success story

ये कहानी किसी फिल्म या नाटक की स्क्रिप्ट जैसी लग सकती है, लेकिन ये पूरी तरह हकीकत है। ये कहानी है एक ऐसी दलित लड़की की, जिसको समाज ने तोड़ने की हर संभव प्रयास किया , लेकिन कल्पना सरोज हर बार और भी मजबूत बनकर उभरी। ये कहानी है दलित महिला कल्पना सरोज की — एक ऐसी महिला उद्यमी, जिसने अपने जीवन के हर अंधेरे को रोशनी में बदला।

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बचपना बिता कच्ची झोपड़ी में …

कल्पना सरोज का जन्म महाराष्ट्र के “अकोला” जिले में एक छोटे से गांव “मुर्तिजापुर” के एक दलित परिवार में हुआ। उनका परिवार बहुत गरीब था, उनके पिता एक पुलिस कांस्टेबल में मामूली सी नौकरी करते थे। कल्पना को बचपन से ही भेदभाव, जातिवाद और गरीबी का सामना करना पड़ा।

जब वो सिर्फ 12 साल की थीं, तो उनके माता-पिता ने उनकी शादी एक 22 साल के आदमी से कर दी। एक छोटी सी बच्ची, जो अभी स्कूल जाती, खेलने कूदने की उम्र होती है , अचानक से उसकी शादी हो जाती है । उनका ससुराल बेहद प्रताड़नात्मक था। उसे पीटा जाता था, खाना नहीं दिया जाता था और छोटी-छोटी बातों पर ताने सुनने पड़ते थे। (kalpana saroj success story)

खुदखुशी करने की कोसिस लेकिन तक़दीर में कुछ और ही था:

इन अत्याचारों से परेशान होकर , कल्पना सरोज जी ने खुदकुशी करने की कोशिश की। और उन्होंने पोइज़न भी पी लिया ,लेकिन तक़दीर में कुछ और ही लिखा था । समय रहते उन्हें बचा लिया गया। और यहीं से शुरू हुआ उनका दूसरा जन्म — एक ऐसा जीवन जिसमें उन्होंने ठान लिया कि अब किसी के आगे नहीं झुकेंगी। फिर चाहे कितनी भी विकट परिस्थिति का समना क्यू न करनी पड़े !

वो अपने मायके {घर } वापस लौट आईं और एक सिलाई मशीन लेकर सिलाई का काम शुरू किया। (kalpana saroj success story)
लेकिन गांव में लोग बातें बनाने लगे — “तलाकशुदा लड़की है जरूर लक्षण ठीक नहीं होंगे इसलिए तलाक मिला “। लेकिन कल्पना अब टूटने वाली नहीं थीं। उन्होंने ठान लिया था कि उन्हें खुद को साबित करना है। और कुछ करके दिखाना है

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रिस्क उठाया और लोन लेकर शुरू किया व्यवसाय:

मात्र 16 साल की उम्र में ही , कल्पना सरोज ने अकेले मुंबई का रुख किया। लेकिन उस समय उनके पास ना तो पैसे थे, और ना ही कोई पहचान की उन्हें वह कोई काम दे सके। परन्तु उन्होंने हार नहीं मानी और उन्होंने एक बुटीक सैलून का काम करना शुरू किया।


साथ ही, सरकारी योजनाओं के ज़रिए 50,000 का लोन लिया और खुद का छोटा सा फर्नीचर बनाने का काम शुरू किया।(kalpana saroj success story)


लेकिन उस समय लोन लेना आसान भी नहीं था बिचौलिये लोन के बदले 10,000 रुपये घुस भी मांगते थे ! इससे आहत होकर उन्होंने खुद का संगठन बनाया ताकि हर जरुरत मंद लोगो को लोन मिल सके वो भी बिना घुस के और वो भी अपने कदमो में खड़े हो सके ताकि हर कोई अपनी तक़दीर का मालिक बन सके

उनके इस कदम से लोगो को आसानी से लोन मिलने लगा था और लोगो में उनकी पहचान भी बनना शुरू हो गयी !(kalpana saroj success story)

धीरे-धीरे उनका काम बढ़ने लगा। उन्होंने मजदूरों और कारीगरों के लिए काम के अवसर पैदा किए। लेकिन यही उनकी मंज़िल नहीं थी।

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कल्पना सरोज कैसे बनी बिल्डर और कमानी ट्यूब्स’ की मालकिन ?

कल्पना सरोज का काम चल पड़ा तथा उन्होंने उसी पैसो से कुछ प्लाट ख़रीदे फिर उन प्लाट को बेच कर मुनाफा कमाने लगी फिर एक दिन उनके पास एक व्यक्ति 2.5 लाख की प्रॉपर्टी सेल करने आया लेकिन उस समाय तो उनमे पास इतना पैसा था नहीं , तो उस व्यक्ति से उनसे 1 लाख रुपये मांगे बाकि बाद में देने को कहा , कल्पना सरोज जी मान भी गयी उन्होंने पैसे इक्खटे करके उस व्यक्ति को पैसे दे दिए ,

परन्तु उस व्यक्ति की प्रॉपर्टी विवादित थी जिसको कल्पना सरोज जी ने हार नहीं मानी और कोर्ट में केस भी लड़ा , उन्होंने उस केस को जीत भी लिए लेकिन तब तक उस प्रॉपर्टी की कीमत 50 लाख हो चुकी थी ,और इस तरह उनकी शुरुआत हुई बिल्डर बनने की !


इन्होने वर्ष 2000 में, कल्पना की जिंदगी ने एक और बड़ा मोड़ लिया। मुंबई की एक जानी-मानी कंपनी कमानी ट्यूब्स लिमिटेड, जो एक समय करोड़ों की कंपनी थी, दीवालिया होने की कगार पर पहुंच चुकी थी। कंपनी के मज़दूरों ने कल्पना से मदद मांगी — वो चाहते थे कि कोई ऐसा व्यक्ति कंपनी को संभाले जो मज़दूरों के हित में काम करे। (kalpana saroj success story)

कल्पना ने ये चुनौती स्वीकार की। बिना किसी अनुभव के, उन्होंने लीगल लड़ाई लड़ी, कर्ज चुकाया, और कमानी ट्यूब्स की MD (मैनेजिंग डायरेक्टर) बन गईं। उन्होंने न सिर्फ कंपनी को बचाया, बल्कि उसे मुनाफे में भी ले आईं।

आज कमानी ट्यूब्स की वैल्यू 1000 करोड़ से भी अधिक है।

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 भारत की पहली महिला उद्यमी कल्पना सरोज:

इन्हे ही भारत की पहली महिला उद्यमी कहा जाता है (India’s first woman entrepreneur)
इन्होने फिल्म का भी प्रोडक्शन किया है उस फिल्म का नाम है Khairlanjichya Mathyawar जो की दलितो पर हुए अत्याचार और रेप की वास्तिविकता को दर्शाती है यह फिल्म 7 फरवरी 2014 को सिनेमाघर पर रिलीज़ हुई थी इस फिल्म की IMDB रेटिंग 9.2/10 है

आप IMDB रेटिंग से अंदाजा लगा सकते है की यह सच्ची घटना पर बनी फिल्म कितनी अच्छी होगी !
इस फिल्म के बाद उन्होंने अपने बिज़नेस को आंगे बढ़ाया तथा भारत की पहली महिला उद्यमी भी बनी !

कल्पना सरोज को जान से मारने का षड़यंत्र रचा गया:

किसी भी महिला के पास इतनी प्रशिद्धि और इतनी जल्दी सक्सेस होना लोगो को आसानी से हजम नहीं होता है वो भी दलित महिला का सफल होना जो कमानी tubes जैसी कम्पनी की सीईओ हो !


कुछ लोगो ने मिलकर उनको मारने का षड़यंत्र रचा परन्तु जब तक कोई बड़ी अनहोनी होती तब तक उनके एक खबरी ने उनको आकर इस षड़यंत्र की पूरी बात दी और समय रहते उन्होंने पुलिस के पास जाकर सारी घटना की जानकारी दे दी और षड़यंतकारी पकडे गए!


फिर उन्होंने लिसेंसी पिस्तौल रखना शुरू कर दिया और कहा मेरी  6 गोली खत्म होने के बाद ही कोई मुझे मार सकता है !(kalpana saroj success story)

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पद्म श्री कल्पना सरोज जी की उपलब्धियां:

कल्पना सरोज जी को वर्ष 2013 में व्यापार और उद्योग के लिए पद्म श्री पुरुस्कार से सम्मानित किया गया था।कमानी tubes की ceo भी है उन्हें भारत सरकार द्वारा भारतीय महिला बैंक के निदेशक मंडल में नियुक्त किया गया था, जो मुख्य रूप से महिलाओं के लिए एक बैंक है।

कल्पना सरोज जी भारतीय प्रबंधन संस्थान बैंगलोर के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में भी काम करती हैं।

कल्पना सरोज का परिवार:

कल्पना सरोज एक गरीब दलित परिवार से ताल्लुक रखती थी उनकी मात्र 12 वर्ष में शादी में हो गयी थी कल्पना सरोज के पहले पति से मिली अत्यंत पीड़ा के बाद कल्पना जी के पिता ने अलग करा दिया था !
फिर 22 वर्ष की उम्र में ही कल्पना सरोज की शादी स्टील के फर्नीचर व्यवसाय से जुड़े कारोबारी से वर्ष 1980 में समीर सरोज से हो गयी थी जिनसे उनका एक बेटा अमर सरोज का जन्म 1985 में तथा एक बेटी सीमा सरोज का जन्म 1987 में हुआ था


परन्तु नियति ने एक बार फिर से उनको तोड़कर रख दिया वर्ष 1989 में पति समीर सरोज की मृत्यु जीवन में फिर से नया दुखदायी मोड़ ला देता है
अत: उन्होंने फिर से स्टील कारोबार को आगे बढ़ने का द्रढ़ निश्चय लिया और कारोबार को नै बुलंदियों में ला खड़ा किया
कल्पना सरोज बुद्धिस्ट है और बाबा साहेब अम्बेडकर जी के आदर्शो में का पालन करती है

टेडक्स  (TED X) स्पीकर रह चुकी पद्म श्री कल्पना सरोज का इंटरव्यू आप जोश टॉक में देख सकते है!

कल्पना सरोज इंस्टाग्राम id:  kalpanasaroj

कल्पना सरोज ट्विटर id : Padmashree Dr. Kalpana Saroj @KalpanaSaroj

visit कल्पना सरोज kamani tubes  company : www.kamanitubes.com

पद्म श्री कल्पना सरोज जी की कहानी से सिख:

इरादे मजबूत हों तो हालात भी हार मान जाते हैं।
आत्मबल दृढ़ हो तो समाज की दीवारें भी झुक जाती हैं।
सच्ची सफलता तो संघर्ष में ही छुपी होती है।

आशा करते है आपको (kalpana saroj success story) से काफी सिख मिली होगी

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