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Harsh Patil Saffron

“कौन कहता है आसमां में सुराख़ नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो” यह कहावत अक्सर सुनी जाती है, लेकिन महाराष्ट्र के 22 साल के एक लड़के ने कुछ ऐसा किया जो लगभग असंभव था।

कश्मीर जैसे ठंडे स्थानों में उगाई जाने वाली फसल “केसर” को महाराष्ट्र में ऊगाया और आज केसर का उत्पादन अधिक होता है।
22 साल का Harsh Patil ने संघर्ष के उस स्तर को देखा जिसके कारण वे आज बिना मौसम की चिंता किए केसर की फसल को उगाते हैं, जो उन्होंने एक छोटे से कमरे में उगाकर शुरू किया था।

पारंपरिक खेती में हुए नुक्सान से मिली प्रेरणा :

Harsh Patil ने बचपन से बहुत मुसीबत झेली थीं। इनके पिता परिवार के साथ महाराष्ट्र के नंदुरबार गांव में रहते थे, जहां वे 120 एकड़ जमीन पर कपास, केला और तरबूज की खेती करते थे।

Harsh Patil ने खेती के दौरान, फसल के पकने तक कई समस्याओं का सामना किया, लेकिन वह अपने पिता की मदद करना चाहता था। जलवायु परिवर्तन और बेमौसम बारिश ने पिछले कुछ वर्षों से उनकी फसलें खराब की थी |

इससे परेशान होकर Harsh Patil ने वैज्ञानिक तकनीकी के माध्यम से खेती में ही कुछ अलग करने का निर्णय लिया। कपास की फसल दिसंबर 2022 में कटाई के लिए तैयार थी, लेकिन अचानक बारिश ने पूरी फसल को बर्बाद कर दिया।

हर्ष अभी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे और अब पूरी तरह से खेती में ही कुछ वैज्ञानिक तकनीकी की मदद से नया करना चाहते थे। 

लेकिन उनके पिता नहीं चाहते थे कि उनका बेटा उनकी तरह खेती करे। वे चाहते थे कि उनका बेटा अच्छी से नौकरी करे। 
इधर, Harsh Patil के मन में खेती के अन्य तरीके सीखने का विचार आया। जिसमें उन्हें नुकसान कम और प्रॉफिट अधिक हो।

हर्ष ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी, लेकिन कॉर्पोरेट जगत में नौकरी की अपेक्षा नहीं रखते थे। कॉलेज के तीसरे वर्ष में हर्ष ने बिजनेस के नए तरीकों की तलाश  शुरू कर दी थी।

15×15 के कमरे में ऊगा दिया केसर :

भारत में मोगरा प्रजाति की केसर की खेती मुख्य रूप से कश्मीर में होती है। यहाँ की जलवायु और तापमान पूरी तरह से केसर के लिए अनुकूल हैं, लेकिन महाराष्ट्र के गर्म तापमान में इसे उगाना एक चुनौती थी।

Harsh Patil ने “एयरोपोनिक्स तकनीक” पर काफी रिसर्च किया। दुनिया का सबसे अधिक केसर उत्पादक देश “ईरान” है। Harsh Patil ने बहुत से ईरान के प्रोफ़ेशनल वीडियो देखे।

ऐसी तकनीक को सीखा, जिसकी मदद से गर्म जगहों में भी केसर उगाया जा सकता है। हर्ष ने 15×15 फीट के कमरे में एयरोपोनिक्स खेती के लिए कमरे को तैयार किया।

 एयरोपोनिक्स तकनीक में पौधों को बिना मिट्टी के उगाया जाता है और हवा के माध्यम से पोषक तत्व दिए जाते हैं। हर्ष ने केसर की फसल को उचित जलवायु देने के लिए ह्यूमिडिफायर और एयर कंडीशनर मदद ली।

पहले ही प्रयास में ऊगा दिए 350 ग्राम केसर :

अध्ययन के दौरान हर्ष ने चंदन, ड्रैगन फ़्रूट और केसर सहित कई फसलों का अध्ययन किया। लेकिन हर्ष को पता था, कि केसर ही एकमात्र फसल है जिसे कम समय में उगाया जा सकता है और लोगों द्वारा इसकी अधिक मांग है।

कश्मीर से दूर हर्ष ने पहले ही प्रयास में  एक छोटे से कमरे में 350 ग्राम ‘मोगरा’ किस्म के केसर की खेती की और इसे बेचकर 1 लाख रुपये कमाए।

केसर को बेचने के लिए बहुत प्रचार नहीं करना पड़ा, और आसपास के लोगों ने इसे खरीद लिया, जिससे हर्ष के लिए और अधिक आसानी हो गयी।

अब वह केसर की खेती के एक्‍सपर्ट हो गए हैं। Harsh Patil की सफलता को देखते हुए कई किसान उनसे संपर्क कर रहे हैं। वर्ष 2025 में हर्ष का केसर उत्पादन टारगेट 4-5 किलो है।

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