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ToggleGanesh Chaturthi गणेश चतुर्थी को मानाने का उचित तरीका :
गणेश चतुर्थी (ganesh chaturthi)को अगर पुरे विधि विधान तरीके से नहीं बनाया गया तो आपकी पूजा स्वीकार नहीं होगी और लग सकता है आपके ऊपर दोष,
क्या है वह सम्पूर्ण विधि विधान और क्यू मनाते है गणेश चतुर्थी (Ganesh chaturthi) आइये जानते है इसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी ताकि आपकी सारी मनोकामना पूरी हो और आपके घर पर सुख और समृद्धि आये
Ganesh chaturthi (ganesh vrat katha)गणेश व्रत कथा :
गणेश जी का व्रत करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। गणेश व्रत कथा का उल्लेख पुराणों में मिलता है। इस व्रत की कथा इस प्रकार है:
प्राचीन समय की बात है, एक गरीब ब्राह्मण दंपति अपने पुत्र के साथ एक छोटे से गाँव में रहता था। ब्राह्मण परिवार बहुत ही धार्मिक था, लेकिन गरीबी के कारण उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। एक दिन ब्राह्मण ने सोचा कि वह भगवान गणेश की उपासना करेगा ताकि उसकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके।
ब्राह्मण ने 21 दिनों का गणेश व्रत रखा। व्रत के दौरान उसने प्रत्येक दिन गणेश जी की पूजा की, और उनके नाम का दीप जलाया। इस प्रकार 21 दिनों तक उसने गणेश जी की उपासना की। व्रत के अंत में, ब्राह्मण ने पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवान गणेश से प्रार्थना की कि वे उसकी कठिनाइयों को दूर करें।
उस रात, गणेश जी ने ब्राह्मण के सपने में आकर कहा, “तुम्हारी भक्ति और व्रत से मैं प्रसन्न हूँ। तुम्हारी सारी कठिनाइयाँ दूर हो जाएँगी। कल सुबह जब तुम उठोगे, तो तुम्हें अपने दरवाजे पर एक तांबे का सिक्का मिलेगा। उस सिक्के से तुम अपना जीवन सुखमय बना सकते हो।”
अगली सुबह, ब्राह्मण ने अपने दरवाजे पर सचमुच एक तांबे का सिक्का पाया। उस सिक्के से उसने व्यापार शुरू किया और धीरे-धीरे उसकी आर्थिक स्थिति सुधरने लगी। कुछ ही समय में ब्राह्मण का परिवार सुखी और समृद्ध हो गया।
इस प्रकार, गणेश व्रत करने से ब्राह्मण की सभी कठिनाइयाँ समाप्त हो गईं और वह सुख-समृद्धि का जीवन जीने लगा। इस कथा का मुख्य संदेश है कि गणेश जी की उपासना और व्रत करने से सभी बाधाएँ दूर होती हैं, और जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है।
गणेश जी की कृपा से हर कार्य सफल होता है, इसलिए श्रद्धा और भक्ति के साथ ganesh chaturthi में गणेश व्रत करना चाहिए।
Ganesh Chaturthi (गणेश चतुर्थी) क्यों मनाई जाती है :
इस कथा का वर्णन शिव पुराण के रूद्र संहिता चतुर्थ (कुमार) खंड के अध्याय 13 से लेकर 19 में मिलता है
भगवान शंकर के त्रिशूल से प्रति माता के पुत्र का मस्तक कट गया था
तब माता पार्वती बहुत दुखी हुई उन्होंने बहुत सी शक्तियों को उत्पन्न किया और प्रलय मचाने कि आज्ञा दे दी
उनकी इस विकराल शक्तियों ने हर जगह हाहा कार मचा दिया,
उनके इस शक्तिओं के विकराल रूप को देखते हुए सारे देवताओं ने मिलकर उनको जीवित करने का निर्णय लिया
तब देवताओं ने उत्तर दिशा से हाथी का कर काटकर कर शिवा पुत्र के धड़ से जोड़ दिया
महेश्वर के तेज से माता पार्वती के पुत्र जीवित हो गए
अपने पुत्र को जीवित देखकर माता पार्वती बहुत ही खुश हुई.
माता पार्वती ने पुत्र का सत्कार करके उनका सर चूमा और प्रेम पूर्वक उनको वरदान देते हुए कहा की
इस समय तुम्हारे सर पर लाल सिंदूर दिख रहा है इसलिए मनुष्यों को सदा सिंदूर से तुम्हारी पूजा करनी चाहिए
जो मनुष्य पुष्प चंदन रमणीय आरती , तांबूल और दान से तथा परिक्रमा करके तुम्हारी पूजा करेगा
उसके सभी प्रकार के विभिन्न कष्ट , दुख , आदि नष्ट हो जाएंगे
और उस मनुष्य के घर पर सदैव खुशियां और सुख समृद्धि प्राप्त होगी!
उस समय दयामयी पार्वती जी को प्रसन्न करने के लिए ब्रह्मा , विष्णु और शिव आदि सभी देवताओं ने वहीं गणेश जी को सर्वाध्यछ घोषित कर दिया!
इस समय अत्यंत प्रसन्न महादेव ने अपने वीर पुत्र गजानन को अनेक वर प्रदान करते हुए कहा की सारी बुराइयों को ख़त्म करने में तेरा नाम सर्वश्रेष्ठ होगा
गणेश तुम सबके पूज्य हो अतः अब मेरे सम्पूर्ण गणो का अध्यक्ष बन जाओ
तदनंतर परम प्रसन्न शंकर जी ने गणपति को पुनः वर प्रदान करते हुए कहा गणेश्वर तुम भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को चंद्रमा का शुभोदय होने पर उत्पन्न हुआ है
जिस समय गिरिजा के सुंदर चित्र से तेरा रूप प्रकट हुआ उसे समय रात्रि का प्रथम प्रहर बीत रहा था इसलिए उसी दिन से आरंभ करके इस तिथि में प्रसन्नता के साथ प्रतिमास तेरा उत्तम व्रत करना चाहिए
फिर व्रत की विधि बताते हुए गणेश चतुर्थी के दिन अत्यंत श्रद्धा भक्ति पूर्वक गजमुख को प्रसन्न करने के लिए किए गए व्रत , उपवास एवं पूजन के महत्व का ज्ञान किया और कहा जो लोग नाना प्रकार के उपचारों से भक्तिपूर्वक तेरी पूजा करेंगे उनके विघ्नों का सदा के लिए नाश हो जाएगा
और उनके कार्य सिद्धि होती रहेगी सभी वर्ण के लोगों को खाशकर महिलाओ को यह पूजा अवश्य करनी चाहिए
प्रत्येक मनुष्य जिस भी मनोकामना को सच्चे मन से मानता हो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाएँगी तथा सारे कस्ट दूर हो जायेंगे
अतः जिस किसी भी मानुष को किसी भी वस्तु की अभिलाषा हो उसे गणेश्वर की सेवा वा पूजा करनी चाहिए भाद्रपद कृष्ण चतुर्थी को बहुला सहित गणेश की गंध पुष्प माला और दूर्वा आदि के द्वारा पूजा कर परिक्रमा करनी चाहिए
सामर्थ्य के अनुशार दान करें दान करने की स्थिति ना हो तो बहुला गाय को प्रणाम कर उसका विसर्जन कर दें !
इस प्रकार 5,10 या 15 वर्षों तक इस व्रत का पालन करके उद्यापन करें
उस समय दूध देने वाली स्वस्थ गाय का दान करना चाहिए
इस व्रत को करने वाले स्त्री , पुरषो को सुखद भोगो की उपलब्धि प्राप्त होती है देवता उनका सम्मान करते हैं
वैसे तो गणेश चतुर्थी (Ganesh chaturthi) पूरे भारत में मनाया जाता है किंतु महाराष्ट्र का गणेश उत्सव विशेष रूप से प्रशिद्ध है
महाराष्ट्र में गणेश जी की मंगल मूर्ति के रूप में पूजा जाता है
महाराष्ट्र में पेशवाओं ने गणेश उत्सव को बढ़ावा देते हुए कहा की पुणे में क़स्बा गणपति नाम से प्रशिद्ध गणपति की स्थापना शिवाजी महाराज की मां जीजाबाई ने की थी परंतु सार्वजनिक गणेश पूजन का संचार 1893 में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक द्वारा किया गया था
Ganesh chaturthi wihesh in hindi:
गणेश चतुर्थी (ganesh chaturthi) के दिन आप अपने शुभचिंतको और दोस्तों को यह wishesh भेज सकते है
- गणपति बप्पा मोरया, मंगलमूर्ति मोरया। आपकी जिंदगी में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे।
- विघ्नहर्ता श्री गणेश आपकी सभी परेशानियों को दूर करें और आपके जीवन को खुशियों से भर दें। गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं।
- गणेश जी का आशीर्वाद आपके जीवन को खुशहाल बनाए और आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करें।
- आपके जीवन में गणेश जी की कृपा से हमेशा सुख, शांति और समृद्धि का वास हो। गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं।
- गणपति बप्पा आपके जीवन से सभी विघ्न और दुखों को दूर करें और आपको सफलता का मार्ग दिखाएं।
- गणेश जी के आशीर्वाद से आपके सभी कार्य सफल हों और आप सदा खुशहाल रहें। गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं।
- गणपति बप्पा की कृपा से आपके जीवन में सफलता और समृद्धि के नए द्वार खुलें।
- श्री गणेश के आशीर्वाद से आपके जीवन में खुशियों का आगमन हो। गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं।
- गणेश जी की कृपा से आपका हर दिन मंगलमय हो और आपका जीवन सफलता से भरा रहे।
- गणपति बप्पा आपके जीवन को खुशियों से भर दें और आपकी सभी इच्छाएं पूर्ण करें। गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं।
- गणेश चतुर्थी के इस पावन अवसर पर, आप और आपका परिवार सुख, समृद्धि और शांति से परिपूर्ण रहे।
Ganesh chaturthi images:
गणेश चतुर्थी(ganesh chaturthi)
Ganesh Chaturthi (गणेश चतुर्थी कैसे बनाये ):
गणेश जी की स्थापना में सबसे पहले आपको दिशा का विशेष ध्यान रखना है गणेश जी को आप पूरब दिशा में स्थापित करे!
गणेश जी का मुख पश्चिम दिशा में होना चहिये और पूजा करने वाले का मुख पूरब दिशा में होना चहिये
गणेश जी की मूर्ति को दिवार से सटा कर रखे गणेश जी की पीठ किसी को नहीं दिखना चाहिए
अब सबसे पहले चोकी लगा ले उसमे आप थोड़ी सी सजावट कर सकते हैं आप चन्दन की लकडिया भी लगा सकते है!
गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) पर मिट्टी के बने गणेश जी होने चाहिए! उसके बाद गणेश जी के दोनों साइड अक्षत को लेके छोटी-छोटी ढेरी बनाई!
फिर हमको रिद्धि और सिद्धि माता को सुपारी के रूप में विराजमान करना चाहिए
क्योंकि गणेश चतुर्थी पर गणेश जी की पूजा विधि और सिद्धि माता के साथ ही की जाती है जिससे कि हमें धन संपदा सुख समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है
उसके बाद थोड़े से और अक्षत लेकर उसमें एक चुटकी हल्दी मिलाकर कमल बना लिया!
गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) में कलस स्थापना अवश्य करे है इसमें थोड़ी सी दूर्वा ,फूल ,सुपाड़ी , हल्दी , सिक्का डाल देंगे तो इस तरह से हमें कलस की स्थापना करनी है और
कलश हमें किसी धातु का ही लेना है जैसे की पीतल का तांबे का चांदी का और यह ना हो तो फिर आप मिट्टी का कलश ले
फिर आम के 5 पत्ते लेकर उसमे हल्दी और कुमकुम से उसमे टिका लगा लेना है
कलश के ऊपर जटा वाला नारियल जरूर रखे!
फिर दीपक जलाये ,चुनरी इत्यादि से सजा दे, जनेऊ को अवश्य चढ़ाये.गणेश जी की पूजा करते समय दूर्वा अवश्य चढ़ाये फिर उनको केले और मोदक का भोग लगाना है गुड़ और घी का भी भोग लगाए!
अब आरती करना सुरु करेंगे और प्रभु से कहे आप मेरी पूजा स्वीकार करे , पूजा में कमी को लेकर छमा याचना मांगे
गणेश जी का विषर्जन अनंत चतुर्दर्शी के दिन करना चाहिए
Ganesh chaturthi arti(आरती ):
आइये हमसब मिलकर शुरू करते है गणेश जी की आरती
Ganesh Chaturthi in mumbai(lalbaugcha ke raja ):
मुंबई में lalbaugch के राजा बहुत प्रशिद्ध हैं वहां गणेश जी की पूजा बहुत ही धूम धाम से की जाती है
वर्तमान में गणेश जी की पूजा प्रत्येक राज्य के हर गली और हर घर में विराजमान होते है