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ToggleForest Man of India Jadav Payeng : एक ऐसा व्यक्ति जिसने बंजर पड़ी 1360 एकड़ जमीन को जंगल में बदल दिया
ये बात है 1979 की,जब भारत उद्योगीकरण की तरफ अपने पैर पसार रहा था | वही असम राज्य के एक लड़के ने अपनी जिद्द के आगे 1360 एकड़ खाली पड़े जमीन को 40 वर्षो के दौरान एक विशाल जंगल में परिवर्तित कर दिया |
भारत ने उन्हें Forest Man of India Jadav Payeng के नाम से पुकारा |
Forest Man of India Jadav Payeng के नाम से मशहूर जादव पायेंग, जिन्होंने लोगो की समस्याओं को देखते हुए अपना सारा जीवन पेड़ो के नाम कर दिया |
वैसे तो हर वर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाया जाता है और इसी दिन हम भारतवासी अधिक से अधिक पौधो को लगाकर इस दिवस को मनाते है |
जहा सरकार और लोगो ने पर्यावरण को बचने के लिए मुहिम और आंदोलन किये, वही जादव पायेंग ने अकेले ही वो कर दिया जिसको दुनिया देखती रह गयी |
वर्ष 2012 में “Forest Man of India” का खिताब मिला।
भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित भी किया हैं, उनके द्वारा बनाये गए जंगल में कई जीव-जंतु भी रहते हैं।
“Forest Man of India” Jadav Payeng का जीवन और रहन-सहन :
जादव पायेंग का जीवन बहुत ही साधारण था और उनका पालन पोषण भी बहुत साधारण ही था |
उनका जन्म असम के जोरहट ज़िला के कोकिलामुख गाँव में हुआ और वह ब्रह्मपुत्र नदी के द्वीपीय इलारुना सपोरी में ही रहते थे |
1978 में उनकी उम्र महज़ 14 वर्ष ही थी |
उनका घर ब्रह्मपुत्र नदी के पास होने के कारण अक्सर वह बाढ़ आया करती थी |
1965 में वह अपने परिवार के साथ वहां से कहीं दूसरे स्थान पर चले गए, लेकिन जादव पायेंग का विद्यालय अरुणा सपोरी में होने के कारण उनको वही आना पड़ता था |
बचपन से ही बहुत जुझारू थे |
बांस के 20 पेड़ों के बीज से की थी जंगल की शुरुआत :
ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे बंजर पड़े 1360 एकड़ जमीन में पौधे लगाने के दौरान काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा |
उन्होंने बाँस के 20 पेड़ो के बीज से इसकी शुरुआत की थी|
जब उन्होंने पौधों को लगाना शुरू ही किया था, उन्हें बाढ़ और आंधी जैसी अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने अपनी हिम्मत से बार-बार खाली जगहों में पौधों को लगाया।
उन्होंने इस नीव की शुरुआत महज 14 वर्ष की आयु से ही कर दी थी |
आगंतुक और पर्यावरणविद दुनिया भर से पायेंग के जंगल को देखने आते हैं, जो उनके नाम पर मोलाई वन कहलाता है।
एक आदमी क्या कर सकता है एक उदाहरण पेश किया :
उनके उपनाम से जाना जाने वाला मोलाई वाला घना जंगल अब 1,300 एकड़ से ज़्यादा में फैला हुआ है। उन्होंने बताया है कि वे द्वीप पर अतिरिक्त 5,000 एकड़ में पौधे लगा रहे हैं, जिसका लक्ष्य ब्रह्मपुत्र के बंजर रेतीले टीलों और द्वीपों के 500 मील के हिस्से में हरियाली फैलाना है। उनका कहना है कि पर्यावरण के लिए “एक आदमी क्या कर सकता है, इसका एक उदाहरण पेश किया है”।
उनका यह भी कहना है – “भोर से पहले उठना, लगभग 40 वर्षों तक प्रतिदिन नदी पार करना, प्रकृति को पुनः जीवंत करना।”
उन्होंने कहा – “कोई भी ईश्वर को नहीं देखता,” “मैं प्रकृति में ईश्वर को देखता हूँ, प्रकृति ही ईश्वर है। यह मुझे प्रेरणा देती है। यह मुझे शक्ति देती है … जब तक यह जीवित है, मैं जीवित हूँ।”
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ऐसा क्या हुआ कि जंगल बनाने का निर्णय लिया :
क़स्बा ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे बसा हुआ था, लोग वहीं रहते थे।
एक दिन वह वहाँ से गुजर रहे थे | उस समय वह कक्षा 10 की परीक्षा दे रहे थे |उन्होंने देखा कि मरे हुए सांपो की संख्या सैकड़ो में थी और लोग अपने सामानों को इकठ्ठा कर कही सुरक्षित जगह पर जा रहे थे |
ये सब उन्होंने बचपन में भी देखा था, लेकिन अपनी कम समझ की वजह से वह इन सब से परे थे |
इस बार यह देखकर उनको निराशा महसूस हुई कि अगर नदी के किनारे कुछ जंगल और पेड़ होते तो बाढ़ का पानी इधर नहीं आता और ये जीव भी अपना बचाव कर लेते।
इस बार यह देखकर उनको निराशा महसूस हुई कि अगर नदी के किनारे कुछ जंगल और पेड़ होते तो बाढ़ का पानी इधर नहीं आता और ये जीव भी अपना बचाव कर लेते।
उन्होंने लोगो से पूछा की कब तक ऐसे अपने सामान को सुरक्षित रखोगे, आज नहीं तो कल नदी का पानी वह तक भी आएगा |
इसके लिए उन्होंने लोगो किया की मिलकर पौधे लगाए जिससे हम और हमारे साथ इस जीवो को संरक्षण मिल सके |
लोगो ने उनका मजाक बनाया, उनमे से कुछ लोगो ने उनका सहयोग भी किया |
50 बीज और 20 बांस के पौधे से 4 करोड़ पेड़ – पौधे तक का सफर :
50 बीज और 20 बांस के पौधे दिए लेकिन उनको यह काम अकेले ही करना पड़ा |
दृढ़ इच्छाशक्ति और मेहनत से उन्होंने केवल मिट्टी और कीचड़ से भरी जमीन को फिर से हरा-भरा कर दिया।
जहा उन्होंने सिर्फ 20 बांस के बीजो में इतने बड़े जंगल की नींव रखी थी |आज वहां 4 करोड़ पेड़ – पौधों का वास है|
ये काफिला भी जादव पायेंग ने अकेले ही किया था |तब से उन्होंने अपना सारा जीवन पेड़-पौधों को समर्पित कर दिया |
एक सींग वाले गैंडे और रॉयल बंगाल टाइगर जो की लुप्त होते जा रहे है, वह जादव पायेंग द्वारा बनाये गए घने जंगल में अभी भी मौजूद है |
ऐसी उपलब्धि के लिए मिले कई सम्मान :
“Forest Man of India” Jadav Payeng को 22 अप्रैल 2012 में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में आयोजित एक सार्वजनिक समारोह में सम्मानित किया गया |
उस समारोह में मौजूद जेएनयू के कुलपति सुधीर कुमार सोपोरी ने जादव पायेंग को “Forest Man of India” का किताब दिया गया |
अक्टूबर 2013 में भारतीय वन प्रबंधन संस्थान में आयोजित वार्षिक कार्यक्रम में सम्मानित किया गया |
वर्ष 2015 में उन्हें भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ” पद्म श्री “ से सम्मानित किया गया |
अपने इस योगदान के लिए उन्हें असम कृषि विश्वविद्यालय और काजीरंगा विश्वविद्यालय से मानद पद डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की गयी।
“Forest Man of India” Jadav Payeng पर डाक्यूमेंट्री में बनायीं गयी :
जीवन में जादव पायेंग ने इतना बड़ा मुकाम हासिल किया कि जीतू कालिता ने 2012 में एक डोक्युमेंट्री निर्मित की , जो “द मोलाई फॉरेस्ट” नाम से प्रसिद्ध है और सोशल मीडिया पर पर अपलोड है |
इस डोक्युमेंट्री को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्रदर्शित भी किया गया| इस डॉक्यूमेंट्री के सहारे लोग जादव पायेंग के जीवन को समझ सकते हैं।
आज “Forest Man of India” Jadav Payeng की उम्र 59 वर्ष है |