Happy Makar Sankranti : पतंग प्रतियोगिता(Kite Competition) और त्योहार(Festival) ऐसे मनाये
15 जनवरी, सोमवार को मकर संक्रांति(Makar Sankranti) है। मकर संक्रांति के दिन स्नान करना और दान देना बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन सूर्य की पूजा की जाती है। 15 जनवरी, सोमवार को मकर संक्रांति है।
कर्नाटक, केरल तथा आंध्र प्रदेश में इसे सिर्फ संक्रांति कहते हैं, लेकिन तमिलनाडु में इसे पोंगल नामक उत्सव कहते हैं। इस दिन वसंत ऋतु और नई फसलों की कटाई की शुरुआत होती है। ऋतु बदलना मकर संक्रांति से शुरू होता है।
मकरसंक्रांति(Makar Sankranti) मनाने का कारण :
मकर संक्रांति एक तरह से देवताओं की सुबह होती है | सूर्य इस दिन धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। महाभारत काल में भीष्म पितामह ने मकर संक्रांति का ही दिन अपना शरीर त्यागने का चुनाव किया था।
सूर्य देव की राशि मकर में गोचर करने पर मकर संक्रांति मनाई जाती है।
मकरसंक्रांति(Makar Sankranti) के दिन स्नान भी है खास :
मकर संक्रांति(Makar Sankranti) पर स्नान ब्रह्म मुहूर्त से शुरू होता है। इस दिन गंगा स्नान करने से पुण्य मिलता है और पाप मिटता है।
स्नान के पश्चात ही, सूर्य देव की कृपा पाने के लिए मकर संक्रांति पर अर्घ्य दिया जाता है। स्नान करने से मन और शरीर दोनों पवित्र होते हैं। तब सूर्य को जल, लाल चंदन, लाल फूल और अन्य सामग्री से सूर्य की पूजा करते हैं | मकर संक्रांति पर स्नान करने के बाद गेहूं, गुड़, तिल, गरम कपड़े, अनाज, आदि देते हैं।
गंगा स्नान करने से मोक्ष की प्रप्ति होती है | मकर संक्रांति पर स्नान करने के बाद आपको अपने पिता को तर्पण करना चाहिए और उनको कुछ देना चाहिए। इससे आपको आपके पितरों का भी आशीर्वाद मिलता है । आपका जीवन सुख, शांति और समृद्धि भी मिलती है |
मकर संक्रांति(Makar Sankranti) के दिन स्नान का महापुण्यकाल सुबह 7:15 AM से 9:04 AM तक है। इस महापुण्यकाल में स्नान करना शुभ हो सकता है |
विष्णु पुराण में कहा गया है कि राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों की मोक्ष के लिए मां गंगा को पृथ्वी पर बुलाया। ब्रह्मा जी के कमंडल से निकलकर मां गंगा भगवान शिव की जटाओं में होते हुए हिमालय से पृथ्वी पर आईं।
कहा जाता है कि कपिल मुनि के आश्रम में मां गंगा ने प्रवेश किया, उस दिन मकर संक्रांति(Makar Sankranti) थी। राजा सागर के 60 हजार पुत्रों को उनके स्पर्श से मुक्ति मिली। उन लोगों(60 हजार पुत्रों) ने कपिल मुनि पर अश्वमेघ यज्ञ का घोड़ा चुराने का आरोप लगाया था, इसलिए कपिल मुनि ने उनको श्राप से भस्म कर दिया था। इसके बाद मां गंगा में जाकर मिलती है |
मकरसंक्रान्ति(Makar Sankranti) के दिन खाने मे खास :
तिलगुड़ मकर संक्रान्ति पर खाया और खिलाया जाता है, और उत्तर प्रदेश में खिचड़ी सबसे अधिक खाया जाता है। इस दिन परंपरागत रूप से केवल खिचड़ी खाई और परोसी जाती है। पकवान के रूप में पकौड़ी, पराठे. कचौड़ी, तिल के लड्डू , तिलवा आदि भिन्न-भिन्न प्रकार के बनाए जाते हैं |
आज खिचड़ी खाना और खिचड़ी दान करने का अत्यधिक महत्व होता है | यह विचार है कि इस मौके पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर फिर से मिलता है। इस दिन शुद्ध घी और कम्बल का दान मोक्ष देता है।
मकरसंक्रान्ति में पतंगबाज़ी(Kite Competition) एकप्रथाभी :
मकर संक्रान्ति पर भारत भर में, खासकर गुजरात में, पतंग उड़ाना एक प्रथा है। पतंग को खुशी, स्वतंत्रता और सौभाग्य का संकेत माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन लोग पतंग उड़ाकर खुशी का संदेश देते हैं।
तमिल की तन्नाना रामायण के अनुसार, भगवान श्रीराम ने पतंग उड़ाना शुरू किया था। मकर संक्रांति के दिन भगवान श्री राम ने जो पतंग उड़ाई वह इंद्रलोक तक जा पहुँची | यही कारण है कि आज पतंग उड़ाई जाती है।
माना जाता है कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य की किरणें शरीर के लिए अमृत हैं। इससे कई रोग दूर होते मानते है कि मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाना आपके शरीर को अधिक ऊर्जा देता है और विटामिन डी(Vitamin-D) की कमी को पूरा करता है।
पतंग प्रतियोगिता(Kite Competition) भी है ज़ारी :
एक सप्ताह पहले से ही इसकी प्रतियोगिता शुरु हो चुकी है, जिसमे विदेशो से भी लोगो ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया है। Gujarat International Kite Festival 2024 ने 7 जनवरी से आयोजन की शुरुआत कर दी है |
गुजरात में हर साल की तरह इस बार भी अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव की शुरुआत उत्साहपूर्ण ढंग से हुई है। उमंग और हर्षो उल्लाश के साथ 7 जनवरी को गुजरात के मुख्यमंत्री(CM) भूपेंद्र पटेल ने अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव का उद्घाटन किया।
Disclaimer :
इस लेख में दी गई अधिकतर जानकारी या सामग्री की गणना, सटीकता या विश्वसनीयता नहीं है। आप ये जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे : ज्योतिषियों,पंचांगों,प्रवचनों,मान्यताओं,धर्मग्रंथों से आप तक पहुंचाई गई है|इसे सिर्फ सूचना एवं जानकारी मात्र ही समझे| इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेंगे।