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ToggleRare Rabbit : कभी एक सिलाई की मशीन से डिज़ाइन बनायीं, आज ₹2500 करोड़ की नेटवर्थ

“Rare Rabbit” नामक कपड़ा उद्योग में प्रसिद्ध कंपनी का नाम सबसे ऊपर आता है। कंपनी ने कम समय में विदेशो तक अपने पैर पसारे। वर्तमान में कंपनी पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए नए-नए डिज़ाइन बनाती है। जो ग्राहकों को काफी पसंद आते है और शायद इसी वजह से कंपनी लाभ कमा रही है। स कंपनी का इतिहास काफी लम्बा है, इसके मालिक मनीष पोद्दार है। ये कंपनी राधामणि समूह के अंतर्गत आती है। जो पहले सिर्फ डिज़ाइन बनाया करती थी। लोगो को डिज़ाइन बनाकर देती थी और कपडे की कंपनियां इनके डिज़ाइन का इस्तेमाल करके लाभ कमाती थी।
इस चीज को काफी समय तक राधामणि समूह तक देखा और अपनी खुद की कंपनी कड़ी करने का सोचा, जिसकी नेटवर्थ आज ₹2500 करोड़ से भी अधिक है। आज इस लेख में “Rare Rabbit” द्वारा विदेशों तक हुई प्रसिद्धि के बारें में चर्चा करेंगे।
"Rare Rabbit" की शुरुआत :


कंपनी ने पहले पुरुषों के लिए लोकप्रिय डिजाइन बनाए। बाजार में मेन्स डिज़ाइन इतना अधिक पसंद आया कि कंपनी ने 2015 में ब्रांड “Rare Rabbit” की नींव रख दी। 2 साल तक कंपनी ने खुदरा बिक्री की और 2017 में बेंगलुरु के UB City में अपना पहला स्टोर खोला। “Rare Rabbit” की मांग इतनी बढ़ गई कि 2 वर्ष बाद 2019 में पुरुषो की डिज़ाइन के साथ महिलाओं की डिज़ाइन लांच कर नया स्टोर खोल दिया।
बेंगलुरु के व्हाइटफील्ड वीआर मॉल में भी एक महिला स्टोर की शुरुआत हुई। “Rare Rabbit” उत्पादों की लोगों की मांग इतनी बढ़ गई, कंपनी ने 2019 तक अधिक से अधिक लाभ कमाया और लांच के 4 वर्ष के अंदर ही ₹400 करोड़ की नेटवर्थ तक पहुंच गयी।
"Rare Rabbit" का राधामणि समूह से क्या तालमेल :


Raadhamani Textiles, स्थापित 1996 में उस समय एक छोटे से दुकान में सिर्फ डिज़ाइन बनाने की मशीन से अलग-अलग डिज़ाइन बनाती थी। 1996 में इसके पास सिर्फ एक दुकान थी, लेकिन उसने भविष्य में इतना बड़ा व्यवसाय करने की कोई योजना नहीं बनाई थी।
2008 में, स्थापना के 12 साल बाद, प्राइवेट लिमिटेड के रूप में खुद को स्थापित किया और 2011 में व्यवसायिक के तौर पर काम करना शुरू किया।
उस समय अधिकांश बड़ी कंपनियां अपने व्यवसाय में इनके डिजाइन का उपयोग करती थीं। राधामणि टेक्सटाइल्स ने 2015 में “Rare Rabbit” नामक ब्रांड से खुद के कपड़े और डिजाइन को बाज़ार में उतारा| राधामणि टेक्सटाइल्स द्वारा 2 दशकों तक कपडा निर्माण उद्योग में सक्रिय रहते हुए अब सिर्फ राधामणि समूह बन के रह गया। वर्तमान में पूरा अस्तित्व “Rare Rabbit” का ही है।
"Rare Rabbit" में Tata Capital का निवेश ऑफर ख़ारिज :


2015 में हुई ब्रांड की स्थापना के बाद जब कंपनी ने बाजार में अच्छी पकड़ बना ली | Tata Capital का विचार “Rare Rabbit” में निवेश का था। इनके द्वारा प्रस्तुत डील में 13% हिस्सेदारी की थी, जो ₹2499 करोड़ की वैल्यूएशन में ऑफर रखा गया था।
साथ ही, A91 Partners भी ₹2900 करोड़ की वैल्यूएशन पर 15% की हिस्सेदारी का ऑफर देते हुए निवेश की प्रतिस्पर्धा में शामिल था। कंपनी ने इसे स्वीकार करते हुए ₹150 करोड़ का निवेश किया, जिसमें 14.17% की हिस्सेदारी थी। A91 Partners ने अभी तक कुल ₹500 करोड़ का निवेश किया हुआ है।
Tata Capital द्वारा रखी गयी डील को ख़ारिज करते हुए “Rare Rabbit” ने A91 Partners से हाथ मिलाया था।
"Rare Rabbit" का डिज़ाइन, विस्तार और Networth :


इनके डिज़ाइन लगभग पूरे देश में उपलब्ध हैं। कम्पनी की स्टोर में स्मार्ट कैज़ुअल पोशाक, जैसे हल्के जैकेट, शर्ट और जंपर्स के साथ भारतीय स्टाइल जैकेट और वेलवेट वेस्टर्न वियर स्टाइल ब्लेज़र मौजूद हैं| स्टोर में स्मार्ट कैजुअल वियर के साथ एक्सेसरीज़ और जूते भी उपलब्ध हैं। ग्राहकों को कैजुअल वियर के साथ एक्सेसरीज़ और जूते भी खरीदने की अनुमति है जो उनके कपड़े के साथ फिट होते हैं। इस विशेषता ने ग्राहकों को मॉडर्न, स्वच्छ और वेस्टर्न लुक के साथ बाजार में अधिक पकड़ बनाये हुए है।
“Rare Rabbit” के भारत में कुल स्टोर 150 से अधिक है। कंपनी ने 2024 के वित्तीय वर्ष में ₹637 करोड़ की कुल बिक्री की, जो 2023 के वित्तीय वर्ष से 69% अधिक थी। उसने वित्तीय वर्ष 2023 में ₹376 करोड़ की कुल बिक्री की थी।
कंपनी कनाडा और अमेरिका में ऑनलाइन विक्रय करती है, लेकिन विश्वव्यापी विस्तार करना चाहती है।
“Rare Rabbit” का वर्तमान नेटवर्थ ₹2500 करोड़ से अधिक है। कंपनी का अगला लक्ष्य भारत में टियर-2 और टियर-3 में विस्तार है।