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ToggleLego Toys : ₹ 70,000 करोड़ के कर्ज से निकलकर ₹ 1 लाख करोड़ की नेटवर्थ तक का सफर
कहते हैं कि कंपनी को चलाने के लिए उसके सीईओ में साहस होना बहुत जरूरी है। ऐसा ही खिलौना निर्माता Lego के साथ हुआ।
20वीं शताब्दी में खिलौना बनाने वाली कंपनी Lego ने बच्चों के लिए नए तरह के खिलौने पेश करके बाजार में एक अलग पहचान बनाई। Lego कंपनी ने इंटरलॉकिंग ईंट बनाने के लिए बहुत मशहूर हुआ था। बाजार में अपनी मजबूत पकड़ बनाने वाली एकमात्र कंपनी थी |

Lego कंपनी ने भी करोड़ों रुपये कमाए। लेकिन कहते है ज्यादा प्रसिद्धि भी किसी कंपनी के लिए घातक साबित हो सकती है।
साथ ही, कंपनी एक समय दिवालिया होने की कगार पर आ गई। कंपनी ₹ 70,000 करोड़ के कर्ज पर पहुंच गयी। पुराने CEO को हटाकर नए CEO को नियुक्त किया गया और कंपनी में कई बदलाव हुए, जिससे कंपनी को बहुत तकलीफ हुई।
आज कंपनी करोड़ो का टर्नओवर करती है और ₹ 1 लाख करोड़ से अधिक का कुल वर्थ है।
Lego Toys की शुरुआत :


“लेगो ” के संस्थापक Ole Kirk Kristiansen डेनमार्क में एक बढ़ई का काम करते था। इन्हें लकड़ी के खिलौने बनाने का शौक बढ़ई के काम से ही आया था। 1932 में डेनमार्क की एक प्रयोगशाला ने लकड़ी के खिलौने बनाने शुरू किए।
2 वर्ष बाद Ole Kirk Kristiansen ने “Lego” नामक खिलौने बाजार में उतारे। “Lego”, जिसका अर्थ है “अच्छा खेले”
1949 में, लेगो ने पहली प्लास्टिक ईंट बनाई, जो नीचे ट्यूब और इंटरलॉकिंग स्टड थी।
1958 में Ole Kirk Kristiansen के बेटे Godtfred Kirk ने “लेगो ” को पेटेंट कराया और कंपनी के प्रमुख के रूप में पिता की जगह ली।
Lego द्वारा Theme Park की शुरुआत :


लेगो कंपनी, ईंटेदार खिलौनों के लिए पूरे यूरोप में मशहूर हो गयी। 1968 में Billund में पहला Legoland Theme Park खोला गया | बाद में विश्व भर में और भी पार्क बनाए गए। 1969 में, कंपनी ने छोटे बच्चों के लिए DUPLO बड़ी ईंटों की लाइन भी शुरू की।
लेगो कंपनी ने खिलौनों के अलावा कपड़े, घड़ी, टीवी शो और थीम पार्क में भी अधिक पैसा लगाया।
Lego कंपनी ₹ 70,000 करोड़ के कर्ज में डूबी :


खिलौनों के अलावा, कंपनी ने कपड़ो, Theme Park , घडी और टीवी शो में भी पैसा लगाया। अधिक आईडिया, अधिक प्रोडक्ट और अधिक बदलाव के फेर में फंस गयी।
1998 की बात है, जब बिक्री में भारी गिरावट हुई थी। खिलौने भी बिकने बंद हो गए।
2003 तक, लेगो कंपनी ₹ 70,000 करोड़ के कर्ज में पहुंच गयी । कम्पनी ने जो भी प्रयास किए, वे सभी असफल रहे। लेगो की बिक्री में साल-दर-साल 30% की गिरावट आई |
कंपनी हर दिन ₹ 8 करोड़ का नुकसान में जा रही थी। दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गयी। Operating Profit लगभग 19% से सिर्फ 2.4% रह गया था।
Lego के नए CEO ने ऐसा किया कि कंपनी कर्जमुक्त से लाभ में पहुंची :


2003 में Jorgensen Vig Knudstorp को कंपनी का नया सीईओ बनाया गया था। 35 वर्षीय अर्थशास्त्री जिन्होंने कभी खिलौने उद्योग में काम नहीं किया था। जब वे आए, कंपनी में कुछ ऐसा हुआ जो किसी ने नहीं सोचा था।
- Lego तत्वों की संख्या घटा दी।
- LegoLand Park जैसी गैर-संपत्तियांबेच दी। जिसकी वर्थ ₹ 4,000 करोड़थी।
- विनिर्माण को Outsource करते हुए 1,000 लोगो को नौकरी से निकाल दिया।
Jørgen ने पाया कि लेगो 7,000 से अधिक अलग-अलग भाग बना रहा था, जिससे उत्पादन महंगा और धीमा हो गया था। इसे ठीक करने के लिए, उन्होंने ईंट के प्रकारों को सरल बनाया और सबसे लोकप्रिय सेटों पर ध्यान केंद्रित किया।


कम्पनी के सीईओ ने सोचा कि उत्पाद ग्राहक की इच्छानुसार बनाया जाना चाहिए। लेगो ने Star Wars और Harry Potter के साथ भागीदारी का हाथ मिलाया लोकप्रिय कहानियों पर आधारित सेट तैयार किये।
Harry Potte, Star Wars और Marvel जैसे सांस्कृतिक दिग्गजों के साथ लाइसेंसिंग अनुबंधों ने नए प्रशंसकों को आकर्षित किया।
परिणाम जल्द ही सामने आने लगे – Star Wars Set से अकेले 35% का राजस्व बढ़ा। Star Wars लाइसेंस सेट से 2023 तक ₹ 4,300 करोड़ से अधिक की बिक्री की।
Lego का वित्तीय विस्तार :


Lego ने अपने नए सीईओ की नियुक्ति के बाद अपनी एक अलग ही पकड़ मजबूत की।
2011 : कंपनी ने मैक्सिको के Monterrey में एक फैक्ट्री बनाई।
2012 : कंपनी ने छोटी गुड़िया को बाज़ार में उतारा।
2014 : “The Lego Movie” दुनिया भर में सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई।
2016 : कंपनी ने चीन के Jiaxing में एक और फैक्ट्री बनाई।
2017 : Niels B. Christiansen को CEO का पद मिला, और Jorgensen Vig Knudstorp क्रिस्टीएंसन फॅमिली का मुख्य मालिक बन गया।
2021 : कंपनी ने भी ऐसे खिलौने बनाए जो न देख पाने वाले बच्चों को सीखने और समझने में सहायक होते थे। ईंटो से बने खिलौनों से कठिन Puzzle और Problem Solving को आसानी से हल करना सीखा।
2014 में Lego का वार्षिक राजस्व ₹ 17,000 करोड़ था, जो 2021 में बढ़कर ₹ 65,000 करोड़ हो गया। 2023 तक, Lego ₹ 1 लाख करोड़ के ब्रांड वैल्यू के साथ दुनिया का सबसे मूल्यवान खिलौना ब्रांड बन गया।
वर्तमान में Lego कंपनी की नेटवर्थ 1.1 लाख करोड़ रुपये है। Lego ने बाजार में बहुत नया उत्पाद नहीं उतारा, लेकिन ब्रांड का उपयोग करके Bricks के खिलौने बनाकर दुनिया में सफलता हासिल की।