दक्षिण कोरिया ने इस तकनीक को ख़ोज निकाला है।
"उल्सान राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान" के वैज्ञानिकों ने विकसित किया।
"इलेक्ट्रिकल रेजोनेंस" आधारित वायरलेस पावर ट्रांसफर प्रणाली है।
इस तकनीक की मदद से डिवाइस को कही भी चार्ज कर सकते है।
तकनीक प्रणाली से चुंबकीय क्षेत्र में आने वाली अड़चन ख़त्म।
तकनीक प्रणाली से चुंबकीय क्षेत्र में आने वाली अड़चन ख़त्म।
चार्जर से 2 मी. की दूरी पर 50 वाट क्षमता को चार्ज कर सकते है।
इलेक्ट्रिक डिवाइस को 46% पावर ट्रांसफर क्षमता के साथ ही चार्ज किया जा सकता है।
खतरा :
ऊतक हीटिंग और तंत्रिका उत्तेजन जैसी स्वास्थ्य दिक्कते।
अधिक ऊष्मा उत्पत्ति पर यह आग का कारण बन सकता है।
अग्निशमन प्रतिरोधी वातावरण अनुकूलित बहुत जरूरी।
2025 में इस डेट को आ रही है पाताल लोक
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