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2 अक्टूबर को पितृ पक्ष अमावस्या के आखिरी  दिन और गाँधी जयंती के अवसर पर सदी का सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) लगने जा रहा है। पितृ पक्ष अमावस्या के इन दिनों में पितर धरती लोक से विदा लेते है।

अक्टूबर माह में लगने वाला सूर्य ग्रहण (Solar eclipse) काफी खास माना जा रहा है। इस दिन केतु व शनि की स्थिति खास रहने वाली है| ये ग्रहण करीब 6 घंटे लंबा होगा।

ये ग्रहण रात में होंने की वजह से भारत में इसका असर कम देखने को मिलेगा।

सूर्य ग्रहण ( Solar Eclipse ) :

जब चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है| तब चन्द्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच में आकर ऐसी स्थिति हो जाती है जिससे पृथ्वी पर सूर्य की रोशनी पहुंच पाना असंभव हो जाता है । यह स्थिति ही सूर्य ग्रहण  (Solar Eclipse) कहलाती है।

सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) का समय :

सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) का समय 2 अक्टूबर को रात 9 बजे 13 मिनट से शुरू होकर सुबह 3 बजे 17 मिनट तक रहेगा।

सूर्यग्रहण ( Solar Eclipse ) का वैज्ञानिक कारण :

वास्तव में, सूर्यग्रहण (Solar Eclipse) का वैज्ञानिक कारण है।  जब पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य एक सीध में आ जाते है। तब चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी के बीच में होता है। इससे सूरज का प्रकाश पृथ्वी पर आने से रोक दिया जाता है। यह एक प्रक्रिया है जो वर्ष में बार बार देखने हो मिलती है।

पृथ्वी की परिक्रमा करने पर चंद्रमा की दूरी भी समय समय पर बदलती रहती है।

जब चंद्रमा की दूरी बदलती है तो यह पृथ्वी से छोटा और बड़ा भी दिखाई देता है। चंद्रमा बड़े आकार का दिखता है जब वह पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है। इस दौरान, वह पूरे सूर्य को ढक सकता है, जो पूर्ण सूर्य ग्रहण कहलाता है।

अगर अंतरिक्ष से यह स्थिति देखी जाती है तो चंद्रमा की एक बड़ी परछाई पृथ्वी पर दिखती है।

जिस क्षेत्र में दिन का समय होता है, वहां दिन में रात की तरह का दृश्य कुछ मिनटों के लिए दिखाई देता है। तापमान भी गिर जाता है।

पौराणिक कथा के अनुसार सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse):

वैज्ञानिक दृष्टि से, सूर्य ग्रहण एक खगोलिया घटना है।

लेकिन धार्मिक दृष्टि से, पौराणिक कथा के अनुसार ये कुछ अलग ही दर्शाया गया है। जब समुद्र मंथन से निकले अमृत को भगवान विष्णु द्वारा मोहिनी का रूप धारण कर सभी देवताओं को पिलाया जा रहा था |तभी स्वरभानु राक्षस भी चुपके से पहचान बदलकर देवताओं की पंक्ति में बैठ गया और अमृतपान का स्वाद चख लिया |

लेकिन राक्षस की चाल को चंद्रमा और सूर्यदेव समझ गए और सारी बातें भगवान विष्णु को बता डाली |

फिर क्या था, ज्यो का त्यों समझकर इस बार भगवन विष्णु  ने अपने सुदर्शन चक्र से राक्षस का सिर धड़ से चितिर बितिर कर दिया।  लेकिन अमृत चख लेने की वजह से  वह अमर हो चुका था।

उसका सिर वाला भाग राहु व धड़ वाला भाग केतु कहलाया।

 पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि राहु और केतु  द्वारा अपना बदला लेने के लिए समय-समय पर सूर्य और चंद्रमा पर ग्रहण लगाते है।

सूर्यग्रहण (Solar Eclipse) के समय ये करे :

  • ग्रहण काल में भोजन को पहरेज करे और कोशिश हो की उस समय के अंतराल में न करे।
  • घर में मंदिर के कपाट बंद ही रहने दे
  • देवी-देवताओं की मूर्ति को स्पर्श बिलकुल भी न करें
  • गर्भवती महिलाएं नुकाली चीजों से उचित दूरीबना कर ही रखे
  • तुलसी और पीपल जैसे पवित्र पेड़ों को छूने के प्रयास न ही करे
  • ग्रहण काल के दौरान सुनसान जगह बिलकुल भीं न जाये

सूर्यग्रहण (Solar Eclipse) के दौरान बाद में ये करे :

 

 

  • ग्रहण के दौरान किसी जरुरतमंद व्यक्ति को चना, गेंहू, गुड़, और दाल का दान जरूर करना चाहिए।
  • ग्रहण के दौरान दान करना शुभ माना जाता है।
  • दान करने में केले, दूध, फल, चीनी का भी उपयोग कर सकते है।
  • मंत्रों का जाप निरंतरता के साथ जरूर करना चाहिए।

सूर्य के ग्रहण से मोक्ष होते ही दिए हुए समय पर स्नान करना चाहिए।  ये काफी शुभ संकेत रहते है।

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