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ToggleOberoi Hotels : ऐसा व्यक्ति जिसने 50 रुपये की एक छोटी सी नौकरी से करोड़ों का होटल साम्राज्य खड़ा कर दिया
लोगो द्वारा कही गयी एक कहावत है कि “सोचने में कोई पैसा खर्च नहीं होता है, लेकिन सोचो ऐसा की उसको सच करने में लग जाओ “|
ऐसी ही कुछ कहानी है Oberoi Hotels की।
ये बात है 1922 की, जब 23 साल का लड़का एक बड़े से आलीशान होटल के सामने खड़ा सोच रहा था कि इस होटल में क्लर्क की नौकरी मिल जाये।
उसे क्या पता था उस होटल में उसकी काबिलियत को ऐसे नवाजा जायेगा कि आगे चलकर वो उससे भी बड़ा होटल खुद के दम पर खड़ा कर देगा।
Oberoi Hotels के मालिक मोहन सिंह ओबेरॉय गरीबी से उठे, जहां वह कभी एक नौकरी के लिए मोहताज़ थे, और आज भारत सहित पूरी दुनिया में उनका शुमार है।
Oberoi Hotels ने भारत के अलावा 5 और देशों में अपना ब्रांड बनाया है।
इस लेख में उनकी कहानी को गम्भीरता से लिखा गया है।
Oberoi का जन्म और पढाई :
1898 में, पाकिस्तान के झेलम जिले के भाउल गांव में मोहन सिंह ओबेरॉय का जन्म हुआ।
पिता साधारण से ठेकेदार थे|ओबेरॉय सिर्फ 6 महीने के ही थे जब उनके पिता का निधन हो गया।
उस समय के दौर में सिर्फ माँ के होते पालना बहुत मुश्किल था | लेकिन माँ और ओबेरॉय के दादा ने शिक्षा और अच्छी परवरिश का निर्णय लिया।
Oberoi ने अपने बचपन की पढाई अपने गांव भाउल से की। लेकिन फिर बाद की पढाई रावलपिंडी से करी।
रावलपिंडी में एक सरकारी कॉलेज पाने से कि अब वो जल्द नौकरी करके माँ का बोझ कम करेंगे।
उनको यह आशा थी की कॉलेज ख़त्म होने के बाद एक अच्छी से नौकरी मिल जाएगी।
Oberoi ने जूते की फैक्ट्री में किया काम :
रास्ते कभी इतने आसान नहीं होते की सारा कुछ आसानी से ही मिल जाये ठीक वैसा ही कुछ Oberoi के साथ हुआ।
कॉलेज खत्म होने के दौरान उनको नौकरी मिलने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा |
साथ ही, दोस्त ने टाइपिंग और स्टेनो सीखने की सलाह दी।
इसके लिए Oberoi अमृतसर गया, लेकिन सीखने के बाद भी काम मिलना मुश्किल था।
बाहर रहने पर इतना खर्च होने की वजह से Oberoi घर वापस आ गए और जल्द ही नौकरी मिलने की सोच में पड़ गए।
इतना पढ़े होने के बावजूद भी Oberoi ने चाचा की सलाह पर जूते की फैक्ट्री में काम करना शुरू कर दिया।
काम इतना भी अच्छा नहीं था लेकिन कुछ पैसे मिलने की वजह से यह करना पड़ रहा था।
1919 में रॉलेट एक्ट के तहत जूते बनाने वाली की फैक्ट्री बंद हो जाती और पैसे का स्रोत भी समाप्त हो गया।
जब माँ ने Oberoi को दिये 25 रुपये :
ये बात है 1920 की जब ओबेरॉय महज 22 वर्ष के थे।
उनके पास शादी का रिश्ता आ जाता है , उनके पास कोई नौकरी भी नहीं थी फिर भी उनके ब्यक्तित्व से उनके रिश्तेदार काफी प्रभावित थे और 22 वर्ष की उम्र में ही उनकी शादी हो जाती है।
अब ओबेरॉय घर जमाई बन कर रह जाते है।
1920 में, वह अपनी माँ के पास जाने का निर्णय लेते हैं क्योंकि उसी समय प्लेग नामक बीमारी हर जगह फैल रही थी।
जब वह अपनी माँ के पास जाते है, तो उनको रहने से मना करती है और उनको 25 रुपये देकर जाने को कहती है।
CESIL होटल में पाया 50 रुपये वेतन :
कुछ समय बाद अख़बार में सरकारी नौकरी का आर्टिकल पढ़ते है। हालांकि उनकी कोई खास तैयारी नहीं होती है और शिमला परीक्षा के लिए जाते है।
परीक्षा में पास तो नहीं होते लेकिन शिमला में उनको एक अवसर मिल जाता है।
गर्मियों के दिनों में ही शिमला, ब्रिटिश भारत की राजधानी हुआ करती थी। शिमला में बड़े बड़े, सुन्दर और आलीशान होटल बने थे |
अब वे शिमला के मशहूर होटल सिसिल (CESIL) में पहुंचते है। उनका इरादा वहां नौकरी पाना था।
होटल के अंग्रेज मैनेजर ने Oberoi को 50 रुपये महीना के वेतन पर क्लर्क की नौकरी में रख लिया।
काबिलियत को पहचानते हुए Oberoi को क्लर्क से कैशियर भी बना दिया दिया।
होटल की तरक्की इतनी बढ़ गयी की उनको वहां आवास मिल गया और अपनी पत्नी ईश्वरन देवी के साथ शिमला में ही रहने लगे।
होटल के कारोबार को इतना बारीकी से समझ चुके थे कि ब्रिटिश मैनेजर Clark की गैर-मौजूदगी में होटल का कार्यभाल भी संभालना शुरू कर दिया।
अब होटल पहले के मुकाबले दोगुनी रफ़्तार से चलने लगा था और कमाई भी बहुत बढ़ी थी।
Oberoi नौकरी छोड़ पार्टनरशिप की ज्वाइन :
Cesil होटल के मैनेजर ने ये समझ लिया था की ओबेरॉय को अच्छी समझ आ चुकी है।
उन्होंने नया होटल, ओबेरॉय के साथ पार्टनरशिप में खोलने का विचार बनाया।
ओबेरॉय तुरंत इससे सहमत हो गए और नया होटल जो Carlton होटल था अब वह Clarks होटल नाम रखकर सारी जिम्मेदारियां Oberoi को दे दी।
अब ओबेरॉय नौकरी से एक मालिक के ओहदे पर पहुंच चुके थे और लाभ का कुछ हिस्सा उनको मिलना था।
इस वक़्त उनकी पत्नी भी उनके साथ इस काम को संभालती है। देखते ही देखते होटल में 80 प्रतिशत से अधिक बुकिंग होने लगी।
Oberoi Hotels की स्थापना :
Oberoi ने जब पहला होटल खरीदा :
Clarks की पत्नी इंग्लैंड में बीमार हो गई थी और इंग्लैंड वापस जाने से पहले इस होटल को बेचना था।
Clarks ने ओबेरॉय को 20000 रुपये में होटल खरीदने का प्रस्ताव दिया।
पैसे इतने अधिक थे यह खरीद पाना मुश्किल था।
फिर भी ओबेरॉय ने इस अवसर को पाने के लिए अपनी पत्नी के आभूषण बेचकर पैसो का इंतज़ाम करने का प्रयास किया। रुपये इतने अधिक थे कि उन आभूषणों से इतना नहीं हो पाया|
Oberoi अपने गांव जाकर जमीन्दारों से भारी ब्याज में कर्ज लिया और Clarks होटल खरीद कर महज 34 वर्ष की उम्र में Oberoi Hotel के मालिक बन गए।
Oberoi ने की Oberoi Hotel साम्राज्य की शुरुआत :
अब ओबेरॉय को होटल साम्राज्य बनाना था। कोलकाता में लंबे समय से खाली पड़े Grand Hotel को लीज पर लेने का फैसला किया।
उसके लिए 8,000 रुपये प्रति महीने किराया देने पर सहमति हुई।
लेकिन वास्तव में Grand Hotel की स्थिति देखकर पहले की तरह बुकिंग हो पाना मुश्किल लग रहा था।
- जल में कोई संक्रमण होने से जल दूषित था।
- दीवारे झर रही थी
- Grand Hotel पूरी तरह से खंडहर हो चुका था।
20,000 रुपये का कर्ज लेकर उसकी पूरी मरम्मत कराई और पहले से भी बेहतर कर दिया।
जल की समस्या को पूरी तरह से ठीक करने के बाद बुकिंग तेजी से बढ़ी।
Oberoi Hotel ने विश्वयुद्ध में कमाए करोड़ो :
1945 में द्वितीय विश्वयुद्ध शुरू होने से Mohan Singh Oberoi को लगता था कि उनका सपना अब पूरा नहीं हो सकेगा।
ब्रिटिश सरकार ने पूरे होटलो को सेना के रहने के लिए अधिग्रहण कर रही थी।
तब ओबेरॉय ने ब्रिटिश आर्मी के चीफ से बातचीत की और कहा कि अगर ब्रिटिश आर्मी अपने खाने पर 12 रुपये खर्च करेगी, तो हमारी तरफ से 10 रुपये संभव हो सकता है।
ब्रिटिश आर्मी के चीफ इस बात से सहमत हुए।
Grand Hotel जो 1400 लोगो का रहने का आवास था वहां इसमें बदलाव करके 4000 लोगो के ठहरने का आवास तैयार किया गया।
विलासिता की चीजों को सामान्य में परिवर्तित किया।
विश्वयुद्ध खत्म होने तक Grand Hotel ने करोड़ों रुपये की कमाई की थी।
Oberoi Hotel द्वारा विदेशो में 25 होटलो की स्टडी करी :
ओबेरॉय को होटल साम्राज्य बनाने के लिए बाहर जाना पड़ा।
वे 3 सबसे प्रसिद्ध होटलों में रुके:
- London के Dorchester Hotel
- Paris के George 5th Hotel
- Caribe Hilton Hotel
1952 में, वे विदेश से लौटने पर 25 होटलों की जांच करके 100 पन्नों का नोट बना चुके थे|
Massive Improvement के लिए उन्होंने कुछ खास कदम लिए :
- kitchen Leyout को बदला
- Room Design को आकर्षक बनाया
- Public Area को साफ़ रखा
- Menu Design को लुभावना रखा
- Room Service को और बेहतर किया
Oberoi Hotels ने राजाओ के भवनों को होटलो में बदला :
ओबेरॉय ने AHI (Assiciated Hotels India) के साथ सहमति लेकर कुल 8 होटलों को लीज में ले लिया, जिससे उन्होंने अपने व्यापार को बढ़ाया।
अपने साम्राज्य को बढ़ाने के लिए इतना काफी नहीं था।
सालो से खाली पड़े राजाओं के महल को टारगेट किया और उन्हें होटल में बदलने का विचार किया।
Oberoi ने सर्वप्रथम कश्मीर में राजा हरी सिंह से गुलाब भवन पैलेस को लीज पर देने का प्रस्ताव रखा, जिसे राजा हरी सिंह ने स्वीकार कर लिया।
ऐसा करके उन्होंने भारत के अधिकतर भवनों को होटलो में तब्दील कर दिया।
Oberoi Hotels ने जब आपातकाल का सामना किया :
1970 में, ओबेरॉय ने अपने दोनों बेटों तिलक राज सिंह ओबेरॉय और पृथ्वी राज सिंह ओबेरॉय को अपनी पूरी संपत्ति दे चुके थे।
तभी टाटा समूह का ताज होटल मुंबई से धीरे धीरे पूरे भारत में अपने पैर पसारने लगा।
Oberoi Hotal ने इसके लिए देश के सबसे आर्थिक सिटी मुंबई में 500 कमरों और 34 मंजिल का होटल बनाने का फैसला किया।
ओबेरॉय का बजट 7 करोड़ रुपये था, लेकिन बनकर तैयार होने में 20 करोड़ रुपये खर्च हो चुके थे।
जब बुकिंग का समय शुरू हुआ, तभी देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी द्वारा आपातकाल जारी हो चुका था|
Oberoi Hotels का कर्ज इतना अधिक था कि इसे अदा न करने पर पूरी तरह से दिवालिया हो जाते।
तभी लेबनॉन में गृह युद्ध की स्थिति बनी हुई थी और अधिकांश पूंजीपति लेबनॉन न जाकर मुंबई में ही रुका करते थे।
ओबेरॉय ने इस अवसर को पूरी तरह से अपने अधीन करने के लिए अपने पूरे कर्मचारियों को अरबी भाषी बनाया।
जिसमे
- 200 मुख्य स्टाफ
- Menu Status
- बोलने की भाषा भी अरबी
इससे उनका मुंबई का 34 मंजिला होटल पूरी तरह से लाभ में आ गया।
Oberoi Hotels के संस्थापक मोहन सिंह ओबेरॉय का राजनीतिक करियर एवं पुरस्कार :
Oberoi Hotels के मालिक मोहन सिंह ओबेरॉय ने राजनीति में भी अपना सिक्का जमाया।
64 वर्ष की उम्र में राज्यसभा के सदस्य बने और 68 वर्ष उम्र में लोकसभा के सदस्य रहे।
राज्यसभा के सदस्य 2 बार रहे –
प्रथम कार्यकाल – अप्रैल 1962 से मार्च 1968 तक
दूसरा कार्यकाल – अप्रैल 1972 से अप्रैल 1978 तक
लोकसभा कार्यकाल – अप्रैल 1968 से दिसंबर 1972 तक रहा।
पुरस्कार :
- 1943 में, Oberoi को ब्रिटिश सरकार द्वारा क्राउन के प्रति उनकी सेवाओं के सम्मान में राय बहादुर की उपाधि दी।
- अमेरिकन सोसाइटी ऑफ़ ट्रैवल एजेंट्स (ASTA) द्वारा हॉल ऑफ़ फ़ेम में प्रवेश
- इंटरनेशनल होटल एसोसिएशन (IHA),
- न्यूयॉर्क द्वारा मैन ऑफ़ द वर्ल्ड अवार्ड
- मिस्र के राष्ट्रपति ने उन्हें रिपब्लिक ऑर्डर, फर्स्ट क्लास दिया।
- उन्हें बकिंघम, यूके के अंतर्राष्ट्रीय प्रबंधन केंद्र से मानद डॉक्टरेट ऑफ़ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन प्राप्त हुआ।
- न्यूज़वीक ने उन्हें 1978 के एलीट विजेताओं में से एक नामित किया।
- 2000 में उनकी उद्यमशीलता और व्यावसायिक सफलता के सम्मान में PHDCCI मिलेनियम पुरस्कार दिया गया।
- भारत सरकार ने उन्हें 2001 में पद्म भूषण से सम्मानित किया।
Oberoi Hotels की संख्या और कुल संपत्ति :
- Oberoi Hotel Group में Oberoi Hotels & Resorts and Trident Brand के Hotel भी शामिल हैं।
- Oberoi Hotels की संख्या 31 है और ये भारत के साथ मिस्र, इंडोनेशिया, यूएई, मॉरीशस, और सऊदी अरब में भी हैं।
- Oberoi Hotels समूह में दुनिया भर में 12 हज़ार से अधिक कर्मचारी काम करते हैं।
- मोहन सिंह ओबेरॉय के निधन के बाद, उनके बेटे पृथ्वी सिंह ओबेरॉय नेI.H. Ltd. के बोर्ड का अध्यक्ष पद संभाला।
Oberoi ने अपने नाम को दुनिया भर में स्थापित करने के लिए ऑस्ट्रेलिया, मिस्र और सिंगापुर में प्रबंधन विशेषज्ञता का निर्यात किया |
इन देशों में ओबेरॉय ग्रुप ने मौजूदा लक्जरी होटलों का प्रबंधन किया।
Oberoi Hotels & Resorts की विदेशों में सफलता ने Oberoi Group की छवि को बहुत बढ़ाया। 32 होटलों और लक्जरी क्रूज़रों का स्वामित्व या प्रबंधन 5 देशों में है। वर्तमान में Oberoi Hotels group का कारोबार 8500 करोड़ रुपये से अधिक है।