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M-Pox वायरस या महामारी: 116 देशो में फैला संक्रमण, भारत में भी संक्रमण फैलेगा ?

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M-Pox वायरस या महामारी: 116 देशो में फैला संक्रमण, भारत में भी संक्रमण फैलेगा ?

M-Pox एक ऐसा वायरस जो अभी तक 116 देशो में दस्तक दे चुका है |

W.H.O. (विश्व स्वास्थ्य संगठन) ने ये घोषित कर दिया है की इसे जल्द से नियंत्रण में नहीं लिया गया तो ये अगली महामारी बन सकती है |

M-Pox

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 14 अगस्त को घोषित किया M-Pox जो एक खतरनाक वायरस अफ्रीका के एक ही देश कांगो को प्रभावित कर रहा था वह अब पूरी दुनिया के लिए खतरा बन चुका है |

एमपॉक्स, जिसे पहले मंकीपॉक्स कहा जाता था, एक वायरल बीमारी है जो ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस की एक प्रजाति मंकीपॉक्स वायरस से होती है।

M-Pox है प्रभावशाली ?

M-Pox वायरस ने पहली बार 2022 में दुनिया भर में फैलने की कोशिश की थी, लेकिन अब इसका नया स्ट्रेन इतना शक्तिशाली और प्रभावशाली है कि सिर्फ एक महीने में ही अफ्रीका के लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो से शुरू होकर आसपास के 12 देशों में फैल गया है।

साथ ही स्वीडन, फिलीपींस और सऊदी अरब में भी जो पूर्व में फैल चुका हैं
यह दावा किया जा रहा है कि COVID-19 महामारी से सात गुना शक्तिशाली अधिक है।

M-Pox से दो वर्ष पहले भी एक लाख लोग संक्रमित  :          

हालांकि आपको बताते चले कि M-Pox वायरस 2022 में एक बार दस्तक दिया था और इससे 1 लाख लोग संक्रमित भी हुए थे | 2022 से 2024 तक इस वायरस को अपने विकराल रूप में आने का समय मिल गया और इस बार यह काफी अधिक ताकतवर साबित हो रहा है | भारत में M-Pox वायरस को लेकर बाहर से आने वालो के लिए दिल्ली के 3 बड़े अस्पतालों ( राम मनोहर लोहिया, सफदरजंग और लेडी हार्डिंग  ) में आइसोलेशन वार्ड का इंतज़ाम किया जा चुका है |

भारत में अभी तक मंकीपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है।

वायरस के दो अलग क्लेड हैं:

Clade 1 और क्लेड 2

2022-2023 में क्लेड LLb स्ट्रेन ने एमपॉक्स को पूरी दुनिया में फैलाया।

M-Pox आज भी खतरा है, क्योंकि कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं और अन्य देशों में मामलों की वृद्धि ने चिंता बढ़ा दी है।

M-Pox वायरस का जन्म :

1958 में, डेनमार्क के कुछ वैज्ञानिकों ने पोलियो वैक्सीन की जांच करने के लिए सिंगापूर से कुछ बंदरों का आयात किया. जब बन्दर डेनमार्क पहुंचे, एक वैज्ञानिक ने उन बंदरो में से एक बन्दर में वायरल संक्रमण के लक्षण देखे, जैसे दर्द, तेज बुखार  और  स्किन में इन्फेक्शन।

इस मामले को पूरी तरह से समझने के लिए, वैज्ञानिकों ने स्किन के सैंपल लेकर जांच की।
परीक्षण से पता चला  कि वह बन्दर Pox वायरस से संक्रमित था।
यही से वायरस का नाम M-Pox पड़ा।

M-Pox वायरस अफ्रीका से बाहर ऐसे फैला :

 9वर्ष का एक बच्चा अफ्रीका के लोकतान्त्रिक गणराज्य काँगो में पहली बार M-Pox वायरस की चपेट में आया|

 दरअसल, काँगो में अधिकांश लोग बंदरों के साथ रहते थे, और किसी को नहीं पता था कि बंदरों में पहले से M-Pox वायरस था और तभी 9 वर्ष का एक बच्चा अफ्रीका के लोकतान्त्रिक गणराज्य काँगो में पहली बार M-Pox वायरस की चपेट में आया| इस संक्रमण से 9 वर्ष के बच्चे की मृत्यु हो गयी |

अब काँगो के लोगों का खाना बंदरों से मेल खाता था, इसलिए वायरस स्किन में रहने से बढ़ गया और दो भागो में बट गया: Clade 1 और Clade  2

  • Clade 1 अब इतना शक्तिशाली हो गया था कि मौत भी हो सकती थी।
  • Clade 1 में, चहरे पर बड़े बड़े चकत्ते बनने लगते हैं, जो दूर से लगता है कि वह M-Pox संक्रिमत है
  •  Clade 2 में, चहरे पर चकत्ते की जगह छोटे छोटे दाने बनते हैं, जो चहरे की मुहासे की तरह ट्रीट कर नजअंदाज किया गया और आसानी से एक देश से दूसरे देश में पहुंच गया|
  • Clade1 में बचने की संभावना कम होती है, लेकिन Clade 2 में नियमित रूप से दवा लेने से ठीक हो सकता है।
  • Clade 1 से संक्रिमत लोग काँगो से बाहर के देशों में पाए गए हैं, जो अत्यंत चिंताजनक है।

मंकीपॉक्स फैलने  का मुख्य कारण  :

एमपॉक्स संक्रमित जानवरों के साथ अधिक समय बिताना या एमपॉक्स से पहले से संक्रमित व्यक्ति से संपर्क करने से भी फैल सकता है।  संक्रमण फैलने का अधिक जोखिम संक्रमित व्यक्ति कपड़ों को छूना, सुरक्षा उपायों का पालन नहीं करना आदि से होता है।

वायरस गर्भावस्था के दौरान भ्रूण में, नवजात शिशु में या जन्म के दौरान या बाद में शिशु में फैल सकता है।

M-Pox के लक्षण को जानने के लिए :

शुरू के 1-2 हफ्तों में इसका पता लगाना मुश्किल होता है क्योंकि यह शरीर में आसानी से घुल जाता है. कुछ हफ्तों के बाद कुछ लक्षण दिखने लगते हैं, जैसे तेज बुखार, सिर दर्द, कमजोरी, थकान और गले में सूजन।

Virus से संपर्क में आने के 5 से 21 दिन बाद लक्षण दिखाई देते हैं

इसके बाद शरीर पर चेचक के फफोलों की तरह दाने निकल सकते हैं। ये दाने चेहरे, हाथ, पैर, छाती, पीठ और अन्य स्थानों पर हो सकते हैं और पपड़ी बन जाते हैं।

मुख्य बात यह है कि गले में सूजन या गाँठ होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए क्योंकि इस वायरस के फैलाने की संभावना बढ़ जाती है ।

मंकीपॉक्स से बचाव :

एमपॉक्स का इलाज दर्द और बुखार जैसे लक्षणों के लिए सहायक देखभाल के साथ किया जा सकता है, जिसमें पोषण, जलयोजन, त्वचा की देखभाल, द्वितीयक संक्रमणों की रोकथाम और एचआईवी सहित सह-संक्रमणों के उपचार पर पूरा ध्यान दिया जाए।

M-Pox से संक्रमित व्यक्ति 2-4 सप्ताह में स्वस्थ हो सकता है, इसलिए अपने आप को और दूसरों को बचाने के लिए

कुछ उपाय करें:

ये करे :
  • सलाह के लिए अपने चिकित्सक से संपर्क करें
  •  यदि संभव हो तो घर पर रहें और एक स्वच्छ कमरे में रहें
  •  विशेष रूप से घावों को छूने से पहले या बाद में बार-बार साबुन, पानी या हैंड सैनिटाइजर से हाथ धोएं
  •  जब तक आपके दाने पूर्ण रूप से ठीक नहीं हो जाते, मास्क पहनें और दूसरों के घावों को जरूर ढकें
  •  त्वचा को खुली और सूखी रखें (जब तक किसी और के साथ कमरे में नहीं हों)
  •  साझा स्थानों को बार-बार कीटाणुरहित करें और वहाँ कुछ भी छूने से बचें; मुंह की चोटों पर खारे पानी का उपयोग करें
  •  शरीर के घावों को गर्म स्नान करने के लिए बेकिंग सोडा या एप्सम साल्ट का उपयोग करें
  • दर्द कम करने के लिए ओवर-द-काउंटर दवाएं लें सकते है, जैसे पैरासिटामोल (एसिटामिनोफेन) या इबुप्रोफेन।
ये करे :

छालों को फोड़ें या घावों को खरोंचें, इससे उपचार धीमा हो सकता है, दाने शरीर के अन्य हिस्सों में फैल सकते हैं और घावों को संक्रमित कर सकते हैं

 घावों वाले क्षेत्रों को शेव करने से बचें जब तक कि पपड़ी ठीक ठीक न हो जाये और नई त्वचा न आ जाए (अन्यथा दाने शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकते हैं)।

ये भी जरूरी है :

दूसरों के सामने एक अच्छी तरह से फिट होने वाला मास्क पहनना और घावों को ढकना प्रसार को रोक सकता है।

से*स के दौरान कंडोम का उपयोग उपयोग जरूर करे, जिससे एमपॉक्स फैलने का खतरा कम रहता है, लेकिन यह त्वचा से या मुंह से त्वचा के संपर्क से फैलने से बच नहीं सकता।

 यौन संबंध बनाने के दौरान 12 सप्ताह, या लगभग 3 महीने, तक कंडोम का उपयोग जरूर करे, जिससे संक्रमण के बढ़ते मामलों के दौरान नए पार्टनर से से*स करने से एमपॉक्स होने का खतरा कम हो सके।

वैक्सीनेसन की प्रक्रिया

M-Pox से पीड़ित किसी व्यक्ति से संपर्क में आने वाले व्यक्तियों को वैक्सीन दी जा सकती है। यहाँ एमपॉक्स से पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आने के 4 दिन से कम समय बाद वैक्सीन दी जानी चाहिए। 14 दिनों तक वैक्सीन दी जा सकती है अगर व्यक्ति में कोई लक्षण नहीं हुए हैं।

कुछ एंटीवायरल को कुछ देशों में आपातकालीन उपयोग की अनुमति दी गई है और नैदानिक परीक्षणों में उनकी जांच की जा रही है। एमपॉक्स के लिए आज तक कोई वैध एंटीवायरल उपचार नहीं है।

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