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लंबे समय तक काम करने वाले कर्मचारी को पेंशन और प्रोविडेंट फंड(PF) के अलावा ग्रेच्युटी भी भी दी जाती है। इसे किसी कर्मचारी को कंपनी से मिलने वाला रिवार्ड भी कह सकते है| Gratuity का अधिकांश हिस्सा कंपनी देती है, लेकिन कुछ कर्मचारी के वेतन से भी लिया जाता है।

Gratuity

Gratuity, किसी कर्मचारी को उसके लगातार सेवा करने के बदले में दिया जाने वाला भुगतान है, जिसमे कर्मचारी को कम से कम 5 साल तक किसी कम्पनी या संस्था में कार्यरत रहना होता है | यह किसी कर्मचारी की लंबी प्रतिबद्धता की प्रशंसा है।

Gratuity को Payment of Gratuity Act, 1972 द्वारा विनियमित किया जाता है|

इसमें कर्मचारी को अपने नियोक्ता के साथ कम से कम 5 साल तक कंपनी की सेवा करनी होती है |

ग्रेच्युटी की राशि, कर्मचारी को कंपनी द्वारा दिया गया आखिरी वेतन और संस्था या कंपनी में की गयी सेवा के समय पर निर्धारित होती है |

Gratuity Act क्या है ? :

Payment of Gratuity Act,  जो सितंबर 1972 में लागू हुआ था। इस कानून को लागू करने का मुख्य उद्देश्य  उन कर्मचारियों को मौद्रिक लाभ प्रदान करना था,

जिन्होंने किसी कंपनी या संस्थान को कुछ वर्षो से सेवा प्रदान की है। यह कानून, न्यूनतम सेवा अवधि वाले कर्मचारियों को वित्तीय सुरक्षा देता है।

Gratuity Payment Act  के ये है नियम :

ऐसी कोई भी संस्था या कंपनी जो पिछले 12 महीनों या 1 वर्ष  के अंतर्गत किसी भी एक दिन 10 या उससे अधिक कर्मचारियों ने काम किया हो, तो वह संस्था या कंपनी ग्रेच्युटी पेमेंट एक्ट, 1972 के अधीन आती है|

अगर कर्मचारी रिटायर हो जाता है या किसी कारणवश नौकरी छोड़ देता है लेकिन अगर वह ग्रेच्‍युटी के नियमों को पूरा करता है तो उसे ग्रेच्‍युटी का लाभ मिलता है।

असल में, इसमें काम की अवधि की गणना में महीनों को निकटतम वर्ष के हिसाब से माना जाता है।

6 महीने तक की अवधि एक अतिरिक्त वर्ष नहीं होगी, लेकिन 7 महीने पूरे होने पर एक अतिरिक्त वर्ष गिना जाएगा।

जैसे किसी कर्मचारी ने नौकरी में 4 साल 7 महीने पूरे कर लिए हैं तो भी कर्मचारी ग्रेच्युटी का हकदार होगा और नौकरी को 5 साल की नौकरी के बराबर ही माना जाएगा |

नौकरी में 5 साल तक कायम रहना आवश्यक है। छुटटी, बीमारी या दुर्घटना से हुआ गैप सर्विस ब्रेक नहीं होता है । इसी तरह  हड़ताल, ले-ऑफ़ या लॉक आउट को सर्विस ब्रेक नहीं माना जाता है|

कर्मचारी पर कुछ बकाया होने पर भी Gratuity को रोका नहीं जा सकता। कोर्ट भी इसे रोक नहीं सकता। भले ही कर्मचारी के खिलाफ सिविल या क्रिमिनल कोर्ट ने कोई आदेश दिया हो।

यदि कर्मचारी ने कंपनी को कोई नुकसान पहुंचाया है तो ग्रेच्युटी से नुक्सान का पैसा वसूल कर बाकी कर्मचारी को वापस दिया जाता है |

सरकारी और निजी कंपनियों के कर्मचारियों को भी Gratuity दी जाती है।

कंपनी द्वारा कर्मचारी को समय पर ग्रेच्युटी रकम देनी होती है, ऐसा नहीं करने पर अधिकतम समय का  ब्याज भी कंपनी द्वारा दिया जाता है और Payment of Gratuity Act का उल्लंघन भी है |

Calculation of Gratuity fund :

Gratuity रकम निकालने से पहले ये तय किया जाता है –  कर्मचारी का आखिरी वेतन और नौकरी में कितना समय कार्यरत |

वेतन से मतलब सिर्फ बेसिक वेतन और महंगाई भत्ता का योग ( यानी Basic + DA ) से होता है | साथ ही यहां आखिरी वेतन से मतलब नौकरी के आखिरी 10 महीनों की औसत वेतन से है।

Gratuity रकम को  निकालने के लिए एक सूत्र का उपयोग किया जाता है

 ( बेसिक वेतन x 15/26 ) x कंपनी में की गई सेवा का समय 

बेसिक वेतन में नियोक्ता या कंपनी द्वारा भी कुछ भाग सम्मिलत किया जाता है और यह कंपनी द्वारा भुगतान करना अनिवार्य है |

इसको एक उदाहरण से समझते है

मान लेते है बेसिक वेतन 20000 रूपये है और 5 वर्ष बाद Gratuity रकम मिलनी है तो सूत्र का इस्तेमाल करके

(20,000) x (15/26) x (5) = 57,700 रूपये

5 वर्ष पश्चात 57,700 रूपये Gratuity रकम  के रूप में कर्मचारी को प्राप्त हो सकते है |

कर्मचारी Gratuity रकम से ऐसे ले सकते है लाभ :

 Gratuity रकम सिर्फ सेवानिवृत्त होने पर या कंपनी के साथ 5 साल सेवा करने में ही नहीं प्राप्त होती है इसके और भी अधिक लाभ है जो एक वेतनधारी व्यक्ति को समझने की जरूरत है –

  • पेंशन के समय भी प्राप्त हो सकता है
  • इस्तीफ़ा के समय भी
  • मृत्यु या अपंगता के स्थिति में भी (मृत्यु की स्थिति में नॉमिनी को सारा धन दिया जाता है)
  • जॉब से छटनी होने पर भी लेकिन ध्यान रखना है कम  से कम  4 वर्ष पूरे करने पर
  • जॉब से निष्काषित किये जाने पर (कर्मचारी की गलती के बिना)
  • स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति पर भी

 

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