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Hadi Rani :हाड़ी रानी ने अपने ही हाथों से अपना सर काट कर अपने पति को भिजवा दिया था….

 हाड़ी रानी (Hadi rani) की कहानी , एक ऐसी कहानी जो आपको अंदर तक झकझोर देगी , जिन्होने अपने पति को युद्ध में जाने के लिए प्रेरित करने के खातिर अपना सर काट कर भिजवा दिया था.

हाडा राजपूत सरदार की बेटी थी इसीलिए इनका नाम   हाड़ी रानी (Hadi rani) पड़ा !

हाड़ी रानी का विवाह सलूम्बर के सरदार राव रतन सिंह चूडावत के साथ हुआ था वे मेवाड़ के राजा राज सिंह के सावंत थे

विवाह के कुछ दिन ही बीते थे की एक सुबह मेवाङ के राजा राज सिंह का सन्देश लेकर उनका सन्देश वाहक सरदार राव रतन के पास पंहुचा

जिसमे लिखा थे की औरंगजेब की सेना बड़ी तेजी से आक्रमण करने के लिये आगे बढ़ रही है और यह संदेस उनके लिए युद्ध के लिए बुलावा था , इस युद्ध के होने के 2 कारण थे

पहला कारण:

था की मेवाङ के राजा ने रानी चारुमती के साथ विवाह होने से औरंगजेब बुरी तरह से बौखलाया हुआ था

दूसरा कारण:

था की औरंगजेब ने हिन्दू जाति पर जजिया कर लगा दिया था जिसके अनुसार हिन्दू या तो इस्लाम धर्म को कुबूल करे या हिन्दू बने रहने का दंड भरे।

जिसका विरोध मेवाड़ के राणा राज सिंह ने कड़ा विरोध किया उनके इस विरोध में कई और हिन्दू राजाओं ने साथ दिया और इस युद्ध में शामिल हुए और राणा राज सिंह का साथ दिया!

जैसे की:

  • दक्षिण के राजा शिवा जी महाराज
  • बुंदेलखंड के राजा महारजा छत्रसाल
  • पंजाब से गुरु गोविन्द सिंह
  • मारवाड़ में राजा दुर्गादास राठोर

जैसे बड़े बड़े राजाओ ने इस युद्ध में मेवाड़ के राजा राज सिंह का साथ दिया और मुगलो के खिलाफ डटकर खड़े रहे

औरंगजेब की सेना हारने वाली थी की औरंगजेब ने बड़ी चालाकी से दिल्ली से और अतिरिक्त सेना बुला दी !

जब यह बात राणा राज सिंह को पता चला तो उन्होंने अपने संदेश वाहक से सरदार राव रतन चूडावत के लिए सन्देश भिजवाया!

और यही वह सुबह थी जिस दिन वह सन्देश वाहक यह सन्देश लेकर उनके पास आया था

अब राजा रॉव सिंह चूडावत के सामने दो राह पर थे एक ओर राष्ट्र के सेवा और दूसरी ओर पत्नि  हाड़ी रानी(hadi rani ) के प्रेम का मोह।

लेकिन सरदार राव रतन चूंडावत ने राष्ट्र के सेवा को चुना और अगली सुबह अपने आखों में हाड़ी रानी (hadi rani) के प्रेम के आँशु लेकर युद्ध की ओर निकल पड़े |

हाड़ी रानी (Hadi rani) ने उनको ऐसे जाते हुए देखा तो वह समझ गयी की राजा रॉव सिंह चूडावत युद्ध में जरूर जा रहे है लेकिन उनके प्रेम में ग्रसित होकर.

और हाड़ी रानी (Hadi rani) को यह पता था की प्रेम में ग्रसित मन कभी ही युद्ध में विजय प्राप्त नहीं कर सकता है

इसीलिए हाड़ी रानी (Hadi rani) ने एक राजपूत की तरह अपने आँशु रोककर राव रतन चूंडावत के माथे में मंगल तिलक लगाकर उनको युद्ध की ओर विदा किया

युद्ध की और जाते समय राव रतन चूंडावत के मन में सिर्फ एक ही चिंता थी, जो की रानी हाड़ी के प्रति थी

इसीलिए उन्होंने रानी हाड़ी के नाम एक सन्देश लिखा की आप फ़िक्र मत करियेगा मैं जल्द लौटूंगा तुम मेरी राह देखना
एक दिन बीतने के बाद राव रतन चूंडावत ने फिर एक पत्र लिखा !

तीसरी बार जब राव रतन सिंह चूंडावतने ने फिर एक पत्र लिखा

जिसमे लिखा था की आप अपनी कोई एक निशानी भेजिए !

 हाड़ी रानी (Hadi rani): यह पत्र देख हाड़ी रानी ने  यह समझ लिया था कि  राव रतन चूंडावत को युद्ध में विजय होने के लिए मेरे प्रेम मोह को तोड़ना पड़ेगा.

हाडी रानी(Hadi rani) ने जब अपना सर कटा

हाडी रानी तुरंत अपने कच्छ की ओर बड़ी और वहां से तेज धारदार तलवार लेकर आई और उन्होंने अपने पति राव रतन चूंडावत के नाम एक पत्र लिखा! जिसमें उन्होंने लिखा कि आपको यह खत लिख रही हूं

” आज मैं आपके सारे मोह के बंधनो को काट रही हूं आपके लिए मैं अपनी निशानी भेज रही हूं
    अब आप मेरी परवाह किए बगैर पूरी निष्ठा से युद्ध भूमि में अपना कौशल दिखाएं और विजय प्राप्त करें!
                     मैं स्वर्ग में आपकी राह देखूंगी “

इससे पहले की सैनिक कुछ समझ पाते की हाड़ी रानी (Hadi rani) ने यह खत लिखते ही.

तुरंत अपनी तेज धारदार तलवार निकाली और अपनी गर्दन सर से अलग कर ली और हाड़ी रानी (Hadi rani) का सर धरती पर जा गिरा और खून की तेज धार बहने लगी

यह सब देख सैनिको की आंखों से आंसू आने लगे ,
सैनिकों ने दुखी मन से हाड़ी रानी (Hadi rani) का सर स्वर्ण थाल में रखा और सुहाग की चुनरी से ढक दिया।,

जब सैनिक, राव रतन सिंह चूंडावत के पास पहुंचे तो उन्होंने देखा कि सैनिकों के आंखों में आंसू भरे हुए थे तब तुरंत राव रतन सिंह चूंडावत ने सैनिकों से पूछा कि क्या तुम हाड़ी रानी (Hadi rani) की कोई निशानी नहीं लाए हो

फिर तुरंत सैनिकों ने दुखी मन से कांपते हुए स्वर्ण थाल और हाड़ी रानी (Hadi rani) के द्वारा लिखा पत्र राव रतन सिंह चूंडावत को दे दिया.

राव रतन सिंह चूंडावत ने जैसे ही स्वर्ण थाल से चुनरी को हटाया तो स्वर्ण थाल को देख उनके आंसुओं की धारा बहने लगी अब सरदार राव रतन सिंह चुनावत के सारे मोह के बंधन टूट चुके थे

क्युकी जिनके प्रति उनका मोह था उन्हने ही देश की रक्षा के लिए अपने प्राणो की आहुति दे थी

अब वे तेजी से युद्ध भूमि की तरफ बढे उन्होंने उस युद्ध में ऐसा शौर्य दिखाया जिसकी मिसाल मिलना नामुमकिन है वे उस युद्ध में आखिरी सांस तक लड़ते रहे और उस दिन औरंगजेब की सेना को बुरी तरह हराया 

लेकिन इस जीत की असली हकदार हाड़ी रानी (Hadi rani)  ही थी जिन्होंने देश हित के लिए अपने प्राणों की आहुति दे डाली

ताकि उनके पति सरदार राव रतन सिंह चूंडावत बिना किसी चिंता और मोह के अपने साहस और पराक्रम को युद्ध स्थल में दिखाया और विजय प्राप्त करी

हाड़ी रानी (Hadi rani) बटालियन:

हाड़ी रानी की वीरता और बलिदान से प्रभावित होकर इस वीरांगना के नाम पर 2009 में राजस्थान पुलिस में एक महिला बटालियन का गठन किया गया

जिसका नाम हाड़ी रानी बटालियन है अपने अधिक भ्रमित हुए पति को कर्तव्य की ओर मोड़ने और उन्हें एक योद्धा का फर्ज याद दिलाने के लिए rani hadi के द्वारा लिया गया यह निर्णय सदा के लिए धन्य है ऐसी नई धन्य है 

भारत देश जहां ऐसी वीरांगनाओं ने जन्म लिया हाड़ी रानी का नाम आज भी बड़े आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है हाड़ी रानी (Hadi rani)  को मेरा शत-शत नमन तो 

                “चूंडावत मांगी सैनाणी
                                    सर काट दे दिया छात्राणी “

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