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HawaMahal: आप थक जायेंगे हवामहल की खिड़कियां गिनते गिनते , जाने कितनी है उसमे खिड़किया और 15 रोचक जानकारी

HawaMahal  संक्षेप में और कुछ रोचक बातें :

HawaMahal

  1. हवा महल का निर्माण आमेर के महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने करवाया था | हवा महल के निर्माण का मकसद महिलाओं के लिए था, महिलाएं महल के झरोखों से उत्सवों को  देख पाए इसलिए महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने इसका निर्माण करवाया था.
  2. गर्मियों में राजपूत महिलाएं इसी महल में आती थी |यह महल विशेषता राजसी स्त्रियों के लिए बनाया गया था|जहां पर लोग कठपुतलियां और शतरांचल का खेल खेला करते थे और हवा महल में लगी हुई खिड़कियों से हवा का आनंद लेते थे
  3. हवा महल में खिड़कियां : हवा महल में कुल 953  खिड़कियां है ,जो हवा के झरोखों की तरह है, इसमें से हवा का आदान-प्रदान होता रहता है यह एक पांच मंज़िल  इमारत है |इसी कारण इसे हवा महल कहा जाता है|
  4. अभी हाल ही में प्रतियोगी परीक्षा में पूछा गया सवाल की हवा महल में कुल कितनी खिड़कियां हैं, यह सवाल काफी चर्चा में रहा था क्योंकि यह सवाल अपने आप में ही एक सवाल था ,कुछ लोगों का मानना  है कि इसमें 1000 खिड़कियां है लेकिन एक स्रोत के अनुसार इसमें कुल 953 ही खिड़कियां है |
  5. हवा महल में लगी खिड़कियों के कारण इसके अंदर ठंडी हवा आती रहती है और महल गर्मी में भी ठंडा बना रहता है |
  6. हवा महल की पहली दो  मंजिलों पर आंगन बना हुआ है|  इस आंगन में पानी के फ़व्वारे लगे हुए हैं जिससे पानी की  बुँदे हवा के साथ मिलकर बाहर आती हैं और एक ठंडा का एहसास कराती हैं यह फवारा इसके राजश्री वैभव को बढ़ाता है|
  7. हवा महल का निर्माण 1799 ईशवी में आर्किटेक्ट लालचंद उस्ताद ने किया था|  यह महल पूरा लाल गुलाबी बलुआ पत्थर और चुने से निर्मित है| यह हवा महल भगवान श्री कृष्ण के मुकुट के अनुरूप बना हुआ है |
  8. हवा महल की पांचो मंजिलों पर मंदिर का निर्माण हो रखा है,  पांचवी  मंज़िल पर स्थित हवा मंदिर के नाम पर ही इस इमारत का नाम  HawaMahal पड़ा है, अन्य  मंजिलों पर विचित्र मंदिर , प्रकाश मंदिर, रतन मंदिर और पहली मंजिल पर शरद मंदिर बना हुआ है|
  9. हवा महल(HawaMahal) मुगल और राजपूताना शैली का मिश्रण है| बाहर से यह एक मधुमक्खी छाते के समान दिखाई देता है|
  10. इस हवादार महल की कोई नींव नहीं है, यह बिना नींव का दुनिया में सबसे बड़ा महल है|
  11. हवा महल बेहतरीन कारीगरी का नमूना है, हवा महल की दीवारों पर फूल पत्तियों की नक्काशी बनी हुई है, खम्बों और झरोखों पर मुगल और राजपूत शैली की झलक देखने को मिलती है|
  12. इसमें प्रवेश लेने के लिए दरवाजा आगे की तरफ ना होकर पीछे की तरफ है, अंदर जाने के लिए सिटी पहले से होकर जाना पड़ता है|
  13. हवा महल में परी मंजिलों पर जाने के लिए कोई भी सीढ़ी नहीं है, इसमें ऊपर चढ़ने के लिए ढलाई नुमा रैंप बना हुआ है|
  14. हवा महल जयपुर शहर में बड़ी चौपड़ पर स्थित सिटी पैलेस का ही एक हिस्सा है|
  15. हवा महल की देख-रेख राजस्थान सरकार का पुरातत्व विभाग है। वर्ष 2005 में, लगभग 50 वर्षों के अंतराल के बाद विशाल स्तर पर महल की सतह और मील का काम हुआ, पैमाने की लागत 45679 लाख रुपये थी। कुछ कॉर्पोरेट घराने भी अब जयपुर के ऐतिहासिक स्मारकों के बारे में जानकारी के लिए आगे आ रहे हैं, जिसका एक उदाहरण “unit trust of india” है जिसने सार-संभाल के महल का बीड़ा उठाया है।

आईए जानते हैं हवा महल के बारे में विस्तृत जानकारी:

HawaMahal : राजपूताना की महारानी का महल

भारतीय इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर ने दुनियाभर में अपनी अमूल्य विरासत के लिए पहचान बनाई है। राजपूताना, भारत के पश्चिमी हिस्से में स्थित, एक ऐतिहासिक और समृद्धि से भरा प्रदेश है जिसे विभिन्न महाराजाओं और महारानियों के साहस और शौर्य का केन्द्र माना जाता है। इस क्षेत्र की सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर का एक अद्वितीय प्रतीक है ‘हवा महल’।

HawaMahal का इतिहास:

HawaMahal

महाराजा सवाई प्रताप सिंह की रचना: हवा महल, जो अंग्रेजी में ‘Hawa Mahal’ कहा जाता है, राजपूताना के महाराजा सवाई प्रताप सिंह द्वारा बनवाया गया था। इसे 1799 में निर्माण किया गया था और यह एक अद्वितीय और सुंदर भव्य भवन है जो अपनी विशेष शैली और रचना के लिए प्रसिद्ध है।

भवन की अनूठी शैली: हवा महल (HawaMahal) का निर्माण राजपूताना के राजा-महाराजाओं की अनूठी शैली में किया गया है। इसमें मिश्रण है राजपूत, मुघल और हिन्दू वास्तुकला के तत्वों का, जिससे यह एक सच्ची कला की कृति है।

HawaMahal की विशेषताएँ:

आकार और संरचना: हवामहल(HawaMahal) की सबसे चमकदार विशेषता यह है कि यह एक प्यारे रेखात्मक भव्य निर्माण है जो विशाल आकार में है। इसकी ऊचाई तीन मंजिलों तक है और इसमें एक हजार से भी अधिक छोटी-छोटी खिड़कियां हैं जो विभिन्न दिशाओं में खुलती हैं।

जालीदार खिड़कियां : हवा महल (HawaMahal) की सबसे पहचानी बात यह है कि इसमें अनेक जालीदार खिड़कियां हैं जो वायुसेना की तरह काम करती हैं। इन खिड़कियों से बहुत ही सुंदर और ताजगी भरी हवा हवा महल के अंदर प्रवाहित होती है, जिससे इसे अपना नाम मिला है।

रंगीन शृंगार:  हवा महल (HawaMahal) की दीवारों पर विभिन्न रंगों की चित्रित रेखाएं और मोतीयों से सजीव किए गए हैं जो इसे रंगीन और आकर्षक बनाते हैं।

गुंबद और मंच: हवा महल(HawaMahal) के शीर्ष पर कई गुंबदें हैं जो इसे मजबूती और गरिमा से भरा हुआ दिखाती हैं। इसके अलावा, नृत्यमंच का उपस्थित रहना इसे सांस्कृतिक कार्यक्षेत्र के रूप में भी बनाए रखता है।

हवा महल: एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संग्रहालय:

समृद्धि और सांस्कृतिक इतिहास:  हवा महल (HawaMahal) राजपूताना के समृद्धि और सांस्कृतिक इतिहास का प्रतीक है। इसे एक संग्रहालय की तरह भी देखा जा सकता है, जहां राजपूताना की महारानियों के जीवन के कुछ पल दिखाए जाते हैं।

 भव्यता और गरिमा: हवा महल की भव्यता और गरिमा उसके सुंदर स्थानों के साथ-साथ इसके सांस्कृतिक महत्व को भी बढ़ाती है। इसे देखने आने वाले पर्यटकों को भारतीय सांस्कृतिक से जुड़ी अद्वितीयता महसूस होती है।

HawaMahal  का पर्यटन क्षेत्र:

राजपूताना का मुख्य पर्यटन स्थल : हवा महल (HawaMahal) राजपूताना का मुख्य पर्यटन स्थल है जो दुनियाभर से पर्यटकों को आकर्षित करता है। इसके सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व ने इसे एक अद्वितीय दर्शनीय स्थल बना दिया है।

पर्यटन उद्योग का योगदान: हवा महल का पर्यटन उद्योग क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान है। यहां के पर्यटकों को भारतीय सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत से मिलता है जो उन्हें इस क्षेत्र की समृद्धि और सौंदर्य के साथ अवगत कराता है।

हवा महल: एक राजपूताना की शानदार धरोहर:

हवा महल एक शानदार और रोमांटिक स्थल है जो राजपूताना की धरोहर को दुनियाभर में प्रस्तुत करता है। इसका निर्माण, विशेषताएं, और सांस्कृतिक महत्व इसे एक अद्वितीय और सुंदर धरोहर बनाते हैं। हवा महल न केवल भारतीय विरासत का प्रतीक है, बल्कि यह एक ऐतिहासिक संग्रहालय और पर्यटन स्थल के रूप में भी अहम भूमिका निभाता है। इसकी ब्रज की शृंगार शैली, गुंबदों की महक, और जालीदार खिड़कियों का समृद्धि में योगदान करते हैं और इसे एक अद्वितीय सांस्कृतिक दर्शनीय स्थल बनाते हैं।


Hawamahal में कुल  953 खिड़किया है .

Hawamahal राजस्थान के जयपुर जिले में स्थित है

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